देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा सीएम आवास में पलायन आयोग की रिपोर्ट का लोकार्पण किया गया। जिसमें चैकाने वाले तथ्य सामने आए। उत्तराखंड में पिछले 18 सालों से सभी सरकार के सामने पलायन एक बहुत बड़ी समस्या रही है। राज्य में बाहरीराज्यों से लोग बड़ी संख्या में यहां घूमने आते हैं, वहीं इसके बिल्कुल उल्टे उत्तराखंडियों ने तेजी से गांवों से पलायन भी किया है। उत्तराखंड के 7950 ग्राम पंचायतों का सर्वेक्षण जनवरी-फरवरी 2018 में ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से करायागया। जिसकी चैकां देने वाली रिपोर्ट सामने आई। आयोग की टीम ने सभी जिलों का दौरा करके लोगों से ग्राम विकास एवं पलायन के विभिन्न पहलुओं पर परामर्श किया। 3946 ग्राम पंचायतों से 118981 लोग स्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 वर्षों में 6338 ग्राम पंचायतों में 383726 व्यक्ति अस्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं यह लोग घर में आते-जाते रहते हैं लेकिन अस्थाई रूप से रोजगार के लिए बाहर रहते है। इसी अवधि में 3946 ग्राम पंचायतों से 118981 लोग स्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं। सबसे ज्यादा पलायन पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी में हुआ। पलायन आयोग की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु, जिसमें हुआ चैकाने वाला खुलासा

1. रिपोर्ट के अनुसार ग्राम पंचायतों से 50ः लोगों ने आजीविका एवं रोजगार की समस्या के कारण 15ः में शिक्षा की सुविधा एवं 8ः में चिकित्सा सुविधा के अभाव के कारण पलायन किया है।
2. ग्राम पंचायतों से पलायन करने वालों की आयु 26 से 35 वर्ष के वर्ग में 42ः है 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 29ः है तथा 25 वर्ष से कम आयु वर्ग में 28ः है।
3. ग्राम पंचायतों से 70ः लोग प्रभावित होकर राज्य के अन्य स्थानों पर गए 29ः राज्य से बाहर तथा 1ः देश से बाहर गए हैं।
4. राज्य में लगभग 734 राजस्व ग्राम, तोक, मजरा 2011 की जनगणना के बाद गैर आबाद हो गए हैं इनमें से 14 अंतर्राष्ट्रीय सीमा से हवाई दूरी से 5 किमी के भीतर हैं।
5. राज्य में 850 ऐसे गांव हैं जहां पिछले 10 वर्षों में अन्य गांव, शहर कस्बों से पलायन कर उस गांव में आकर लोग बसे हैं।
6. राज्य में 565 ऐसे राजस्व गांव, तोक, मजरा है जिनकी आबादी 2011 के बाद 50ः घटी है इनमें से 6 गांव अंतर्राष्ट्रीय सीमा से हवाई दूरी की 5 किलोमीटर के भीतर है।
7. रिपोर्ट के आधार पर नव पर्वतीय जिलों के 35 विकासखंड चयनित किए गए हैं जिनमें आयोग को दूर जाकर लघु मध्यम एवं अदरक अवधि की कार्य योजना बनाई गई जिससे बहु क्षेत्रीय विकास तेजी से बढ़ सके।
8. ग्राम पंचायत स्तर पर मुख्य व्यवसाय कृषि 40ः एवं मजदूरी 33ः है इस मौके पर सीएम समेत पलायन आयोग के अधिकारी मौजूद रहे।

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