उत्तराखंड में कर चोरी की प्रवृत्ति थमने का नाम नहीं ले रही है। कर चोर कारोबार पर टैक्स भरना तो दूर, बिना कारोबार के ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के नाम पर क्लेम प्राप्त कर ले रहे हैं। ऐसे ही ताजा प्रकाश में आए मामले में देहरादून समेत हरिद्वार और टिहरी की 05 फर्मों ने फर्जी कारोबार और फर्जी बिलों के आधार पर सरकार से 3.84 करोड़ रुपए का क्लेम प्राप्त कर अच्छा खासा चूना लगा दिया।
आयुक्त राज्य कर डा अहमद इकबाल के निर्देश के क्रम में सीआइयू ने देहरादून शहर के साथ ही विकासनगर, हरिद्वार में रुड़की और टिहरी जिले के चंबा में वर्क कांट्रेक्ट और कराधान सेवा से जुड़ी 05 फर्मों पर छापा मारा। इस दौरान स्टेट जीएसटी के अधिकारियों ने पाया कि फर्में सीमेंट, सरिया, पैकेजिंग मैटीरियल आदि का भी कारोबार दर्शा रही हैं।
साथ ही यह बात सामने आई कि फर्में वास्तविक कारोबार न कर सिर्फ फर्जी बिल प्राप्त कर रही हैं। जिसके आधार पर आइटीसी के रूप में 3.84 करोड़ रुपए का क्लेम सरकार से प्राप्त किया गया है। फर्जी आइटीसी के माध्यम से फर्में अपनी कर देयता का समायोजन भी कर रही थीं। क्योंकि, जिन ई-वे बिल के माध्यम से माल की आपूर्ति दिखाई गई थी, उसमें दर्ज वाहनों ने संबंधित रूट के टोल प्लाजा को पार ही नहीं किया है।
जिससे साफ हो गया कि पूरा खेल फर्जी ढंग से क्लेम प्राप्त करने के लिए रचा गया। छापेमारी के दौरान जीएसटी अधिकारियों ने बड़ी संख्या में आय व्यय से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लिए और विभिन्न डिजिटल डिवाइस को भी जब्त किया गया। जिसका गहन परीक्षण किया जाएगा।
पकड़े जाने पर फर्मों ने मौके पर जमा कराए 1.23 करोड़
आइटीसी और कर चोरी का फर्जीवाड़ा पकड़ में आ जाने के बाद फर्म संचालक खुद को बचाते नजर आए। कानूनी फंदे से बचने के लिए 1.23 करोड़ रुपए मौके पर ही जमा करा दिए गए। शेष राशि की वसूली अर्थदंड और ब्याज के साथ की जाएगी।
05 टीम में 24 अफसरों ने की कार्रवाई
छापेमारी में सभी फर्मों के लिए अलग अलग पांच टीम बनाई गई थी। जिसमें 24 अफसरों को शामिल किया गया। कार्रवाई करने वाली टीम में उपायुक्त विनय पांडे, धर्मेंद्र राज, प्रेम प्रकाश, योगेश मिश्रा, सहायक आयुक्त मनमोहन असवाल, नीतिका नारंग, गार्गी बहुगुणा, राज्य कर अधिकारी ईशा, दुर्गेश पुरोहित, शैलेंद्र चमोली, हेमा नेगी आदि शामिल रहे।