देहरादून: 

मासूम की हत्या के एक मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश (पोक्सो एक्ट) की अदालत ने एक आरोपित को उम्र कैद की सजा सुनाई है। आरोपित पर 75 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। साक्ष्यों के अभाव में दूसरे आरोपित को बाइज्जत बरी कर दिया गया।

मामला अगस्त 2019 का है। कोटद्वार नगर निगम के अंतर्गत झूलाबस्ती निवासी नौ वर्षीय मासूम पांच अगस्त को लापता हो गई। पिता की तहरीर पर पुलिस ने मासूम की गुमशुदगी दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी। घटना स्थल के आसपास के सीसीटीवी खंगालने के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि मासूम को आखिरी बार प्रजापति नगर निवासी पदम थापा के साथ देखा गया था। पुलिस ने पदम को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी। सात अगस्त को पुलिस ने उसकी निशानदेही पर रेलवे स्टेशन के मालगोदाम शेड में एक बच्चे का कंकाल बरामद कर दिया। मामले में पुलिस ने पदम के साथ ही झूला बस्ती निवासी अशोक को गिरफ्तार किया। साथ ही कंकाल के डीएनए सैंपल व मासूम के माता-पिता के ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिए। जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि कंकाल मासूम बच्ची का ही था। अक्टूबर माह में पुलिस ने इस मामले में न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी।

मामले की सुनवाई विशेष सत्र न्यायाधीश (पोक्सो एक्ट) में चल रही थी। सहायक शासकीय अधिवक्ता (पोक्सो एक्ट) विजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि पुलिस ने दुष्कर्म की पुष्टि के लिए शव का पोस्टमार्टम भी करवाया। लेकिन, शव के कंकाल हो जाने के कारण दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हो पाई। जिस कारण आरोपितों पर अपहरण, हत्या व साक्ष्य मिटाने की धाराओं में वाद चला। बताया कि मामले में पुलिस की ओर से 35 गवाह पेश किए गए। सुनवाई पूर्ण होने के बाद विशेष सत्र न्यायाधीश (पोक्सो एक्ट) आशीष नैथानी ने मामले में पदम सिंह थापा को आरोपित करार देते हुए उसे उम्र कैद की सजा सुनाई। साथ ही 75 हजार रूपए का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। बताया कि सुनवाई के दौरान मामले में अशोक के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य नहीं मिले, जिसके चलते उसे बरी कर दिया।

 

 

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