देश की सीमाओं की रक्षा करने के साथ-साथ भारत तिब्बत सीमा पुलिस और गढ़वाल स्काउट के जवान सीमाओं और अपने अपने चेक पोस्टों पर वृक्षारोपण करके पर्यावरण को बचा रहे हैं देश के जवान हमारी रक्षा सीमाओं पर रहकर कर ही रहे हैं साथ ही देश के नागरिकों को सांस लेने में कोई परेशानी ना हो सभी को साफ हवा मिल सके ठंडा पानी मिल सके उसके लिए धरती को हरा भरा बनाने का जिम्मा भी सेना ने अपने माथे लेकर हमारी रक्षा कर रहे हैं
आइटीबीपी के डिप्टी कमांडेंट अरुण कुमार का कहना है कि देश के जवान सीमाओं पर भी पर्यावरण को बचाने की हर कोशिश करते हैं बॉर्डरो पर जो भी कचरा आदि किया जाता है उसे उठाकर जवान निचले भागों में लेकर आते हैं ताकि क्षेत्र में गंदगी न फैले साथ ही जहां जहां पर जवान तैनात रहते हैं वहां वहां पर पेड़ पौधे लगाकर उस एरिया को हरा-भरा बनाने की कोशिश करते हैं।
वन विभाग विभाग भी देश के इन जवानों को पर्यावरण बचाने में सहयोग देता है ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जहां अधिक पर भारी होती है वहां पर क्लाइमेट के अनुसार पौधे रोपण किए जाते हैं निचले इलाकों में देवदार ,खरसू ,मोरू, बांज ,सुराई आदि के पौधे लगाकर पर्यावरण को बचाने की मुहिम मैं वन विभाग सेना के जवानों को मदद कर रहा है।
देश के नागरिकों और राजनेताओं को सेना के जवानों से सीख लेनी चाहिए कि पेड़ लगाना केवल एक दिखावा और फोटो खिंचाने तक सिमित न हो पेड़ पर्यावरण को बचाने के लिए लगाया जाना चाहिए और उसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी भी प्रत्येक व्यक्ति की होनी चाहिए वर्तमान समय में जिस तरीके से उत्तराखंड में वृक्षारोपण हो रहा है वह केवल एक दिखावा और फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रह गया है लेकिन सच में सीमावर्ती क्षेत्रों में जो हमारे देश के बहादुर जवान कर रहे हैं वही वृक्षारोपण भविष्य में हमारे काम आ सकता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को फोटो के लिए नहीं बल्कि पर्यावरण बचाने के लिए वृक्षारोपण करना चाहिए