एसजीआरआर इंटर कॉलेज भोगपुर की जमीन को बताया अपना, स्कूल प्रशासन से लेकर अभिभावकों और छात्रों ने किया विरोध

उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों के बीच एक स्कूल के खेल मैदान पर कब्जा लेने को लेकर पूर्व डीजीपी प्रेमदत्त रतूड़ी (पीडी रतूड़ी) का मन डोल गया। वह सोमवार को कॉलेज पहुंचकर जमीन पर बने खेल मैदान पर कब्जा लेने लगे। यह देख स्कूल में पढ़ रहे छात्रों के अभिभावकों, स्कूल प्रशसन और स्वयं छात्र-छात्राओं ने उनका भारी विरोध कर खूब खरी-खोटी भी सुना डाली। मगर, पूर्व डीजीपी ने दो टूक कहा कि जमीन उनके नाम दर्ज है और वह अपनी जमीन पर कब्जा कर बुआई करना चाहते हैं। स्कूल में कब्जे को लेकर मचे हंगामे पर ऋषिकेश तहसील प्रशासन और पुलिस ने बीच बचाव कर मामला शांत किया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी वायरल हुआ है। जिसमें हंगामे की स्थिति देखी जा सकती है।

पूर्व डीजीपी के इस अप्रत्याशित कदम को लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, अभिभावकों और छात्रों ने इस संबंध में जिलाधिकारी को पत्र लिखकर विद्यालय के खेल मैदान पर स्कूल का स्वामित्व बरकरार रखने की मांग कर दी है। प्रशासन के अधिकारी भी अचानक हुए इस घटनाक्रम से सकते में हैं। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि अचानक यह सब कैसे हो गया। यह कोई चूक है या सोची समझी साजिश या रणनीति का भाग है? फिलहाल गेंद जिला प्रशासन के पाले में है। अब अधिकारी ही स्थिति को स्पष्ट कर सकते हैं।

दरअसल, पूर्व डीजीपी पीडी रतूड़ी के पूर्वजों ने करीब 07 दशक पहले प्रसिद्ध श्री गुरुरामराय (एसजीआरआर) इंटर कॉलेज भोगपुर रानीपोखरी के खेल मैदान को लगभग 7 बीघा जमीन दान दी थी। एसजीआरआर प्रबंधन का दावा है कि देश की आजादी के बाद सन 1950 में भोगपुर रानीपोखरी में विद्यालय की स्थापना की गई थी। यह विद्यालय जनपद के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में शामिल रहा है। यहां से हजारों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने शिक्षा ग्रहण कर देशभर में बड़े पदों पर जिम्मेदारी संभाली और संभाल रहे हैं।

संस्थान का यह भी दावा है कि पूर्व डीजीपी पीडी रतूड़ी ने भी यहां पढ़ाई की थी। आज भी आसपास क्षेत्र के सैकड़ों छात्र-छात्राएं विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। विद्यालय परिसर से लगे खेल मैदान का उपयोग भी छात्र छात्राएं 70 सालों से क्रिकेट, बॉलीबाल, कबड्डी, खो खो जैसे विद्यालय स्तरीय खेलों के लिए करते आ रहे हैं। इससे कई स्थापित खिलाड़ी भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं। लेकिन नवंबर 2024 से विद्यालय के खेल मैदान पर कब्जा लेने के लिए पूर्व डीजीपी का मन डोल रहा है।

उनका कहना है कि यह जमीन उनके और हिमांशु के नाम दर्ज है। वह जमीन पर कब्जा लेकर वहां खेती करना चाहते हैं। उनका दावा है कि यह जमीन उनके पूर्वजों की है तथा इसके वह कानूनी वारिस हैं। जबकि एसजीआरआर प्रशासन का दावा है कि यह जमीन करीब 70 साल पहले स्वेच्छा से विश्वेस्वर प्रसाद रतूड़ी ने विद्यालय को दान दी थी। वर्ष 1990 के आसपास उनका निधन हो गया था। उनकी पत्नी का भी निधन हो गया है। उनकी कोई संतान नहीं है। ऐसे में कभी भी उनके द्वारा दान की गई जमीन को वापस लेने तथा जमीन पर अपना अधिकार नहीं जताया गया है।

अब अचानक जमीन पर अधिकार जताने से कई सवाल उठने लाजमी हैं। हालांकि, विद्यालय में पूर्व डीजीपी का भारी विरोध हुआ और वह वापस लौट आए। किंतु उन्होंने जमीन पर अपना अधिकार जता दिया है। उधर, इस मामले में पूर्व डीजीपी प्रेमदत्त रतूड़ी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। उनका पक्ष जब भी मिलेगा, प्रथामिकता से प्रकाशित किया जाएगा। दरबार श्री एसजीआरआर इंटर कॉलेज भोगपुर कमेटी के मुख्य व्यवस्थापक मधुसूदन सेमवाल ने बताया कि प्रशासन के प्रतिनिधियों, विद्यालय स्टाफ, अभिभावकों के साथ जमीन पर जबरन कब्जा करने को लेकर बैठक बुलाई थी। इस बैठक में पूर्व डीजीपी प्रेमदत्त रतूड़ी भी शामिल हुए। वह विद्यालय के खेल मैदान की जमीन पर कब्जा करना चाह रहे थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका जमकर विरोध किया है। जिलाधिकारी से भी शिकायत कर दी गई है।

…तो 2024 में कैसे नाम पर चढ़ी जमीन
देहरादून में करोड़ों रुपए की जमीनों के खेल के बीच इस जमीन को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। एसजीआरआर संस्थान ने जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, उसमें जमीन नवंबर 2024 में गुपचुप तरीके से नाम दर्ज कराने के आरोप हैं। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब जमीन किसी अन्य के नाम दर्ज थी तो उसे कैसे पूर्व डीजीपी के नाम दर्ज कर दिया गया। बताया जा रहा कि जमीन के पूर्व के दस्तावेज भी नहीं मिल रहे हैं। हालांकि, हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।

विद्यालय के खेल मैदान के रूप में दर्ज जमीन
एसजीआरआर संस्थान का दावा है कि करीब सात दशक से जमीन सरकारी रिकॉर्ड में खेल मैदान के रूप में दर्ज है। यहां पढ़े पूर्व छात्र, बुजुर्ग भी इसके गवाह हैं। लेकिन, अचानक जमीन पर कब्जा लेने तथा बुवाई की बात करने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कब्जे का विरोध करते हुए कहा कि जमीन विद्यालय के नाम दर्ज है। यहां बने खेल मैदान पर कतई भी कब्जा नहीं होने देंगे।

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