Home उत्तराखण्ड बुनकर सेवा केन्द्र का निरीक्षण अच्छी गुणवत्ता पर जोर

बुनकर सेवा केन्द्र का निरीक्षण अच्छी गुणवत्ता पर जोर

1327
0
SHARE

चमोली
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने शनिवार को चमोली अपर बाजार स्थित बुनकर सेवा केन्द्र का निरीक्षण करते हुए अच्छी गुणवत्ता के नए डिजायन के ऊनी उत्पाद तैयार करने पर जोर दिया। जिला उद्योग केन्द्र को बुनकर सेवा केन्द्र से तकनीकि सहयोग लेकर अच्छे डिजायन के ऊनी उत्पाद तैयार करवाने के निर्देश दिए, ताकि जनपद को ऊनी उत्पाद में एक अलग पहचान मिल सके और बुनकरों की आर्थिकी में बृद्वि हो सके।

जिलाधिकारी ने बुूनकर सेवा केन्द्र से अभी तक रंगायान, डिजायन और बुनायन में प्रशिक्षण ले चुके बुनकरों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके बुनकरों को डोबी डिकाल्र्ड पर नए नए डिजायन उकेरने का प्रशिक्षण भी देने को कहा। जिलाधिकारी ने कहा कि जिले में लोकल ऊन काफी मात्रा में व अच्छे दामों पर उपलब्ध हो जाती है। लोकल ऊन के साथ मुलायम ऊन का मिश्रण करके अच्छी गुणवत्ता के ऊनी उत्पाद तैयार किए जा सकते है, जिससे बुनकरों की आजीविका बढेगी और उनकी आर्थिकी में सुधार होगा। कहा कि नए डिजायन के शाॅल, पंखी, स्टाॅल, मफलर, टोपी, ट्विीड (कोट का कपडा) आदि ऊनी उत्पादों को बेचने के लिए यात्रा सीजन के दौरान बद्रीनाथ एवं आसपास अच्छे मार्केट उपलब्ध है।

जिलाधिकारी ने बुनकर सेवा केन्द्र एवं जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबन्धक को माणा गांव को हैण्डलूम टूरिस्ट विलेज के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। कहा कि इसके लिए जिला योजना से धनराशि का प्राविधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यात्रा सीजन के दौरान हजारों की संख्या में पर्यटक माणा गांव पहुॅचते है। माणा में बुनकर केन्द्र स्थापित करने से पर्यटकों को ऊन से तैयार किए गए नए आकर्षक डिजायन के ऊनी कपडे मिल सकेगें और बुनकरों की रोजगार के साथ-साथ उनकी आर्थिकी भी मजबूत होगी। इस दौरान बताया गया कि बुनकर सेवा केन्द्र के माध्यम से छिनका हथकरघा क्लस्टर को कताई-बुनाई में प्रशिक्षित किया जा चुका है। निरीक्षण के दौरान एसडीएम देवानंद शर्मा, जीएमडीआईसी डा0 एमएस सजवाण सहित बुनकर सेवा केन्द्र के कार्मिक मौजूद थे।

इससे पूर्व जिलाधिकारी ने गोपेश्वर, जीरो बैण्ड स्थित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान का भी निरीक्षण करते हुए अभी तक प्रशिक्षण ले चुके लोगों के बारे में जानकारी ली। कहा कि प्रशिक्षण का फायदा तभी है जब कोई अपना स्वरोजगार शुरू करे। उन्होंने आरसेटी निर्देश को विगत पाॅच वर्षो में प्रशिक्षण ले चुके अभ्यर्थियों की श्रेणीवाईज सूची तैयार करने के निर्देश दिए, ताकि संबधित विभागों से समन्वय बनाकर ट्रेनिंग ले चुके लोगों को स्वरोजगार से जोडा जा सके। जिलाधिकारी ने कहा कि होमस्टे, कैटरिंग, उद्यान, कृषि, डेयरी, सिलाई, मशरूम उत्पादन, नर्सरी आदि में से कोई ऐसे पाॅच सेक्टर, जिनकी इस जनपद में भरपूर सम्भावनाएं है, उनकी सूची उपलब्ध की जाए, ताकि ऐसे सेक्टर में प्रशिक्षणार्थियों को स्वरोजगार से जोडने के लिए फण्ड की व्यवस्था की जा सके।

आरसेटी निर्देशक सुदेश सिंह ने बताया कि वार्षिक कार्ययोजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष में संस्थान द्वारा कुल 16 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के सापेक्ष 400 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस पर जिलाधिकारी ने उन्हें निर्देश दिए कि वर्ष के दौरान कम से कम 25 प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जाए तथा प्रशिक्षण देने के तुरन्त बाद प्रशिक्षण लेने वालों को स्वरोजगार से जोड़ना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के बाद स्वरोजगार से जुड़े लोगों का भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here