(दीपक भारद्वाज सितारगंज)
सितारगंज वरिष्ठ समाजसेवी कृष्ण कुमार गर्ग,यादराम जिन्दल, नवतेजपाल सिहं,विधा अग्रवाल व महेश मित्तल ने संयुक्त रुप से मां भारती व स्वामी विवेकानन्द जी के चित्र सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया। मेरठ से आई श्रृंगार रस की कवि डा० शुभम त्यागी ने कहा कि आया रंगो का त्यौहार मिलकर खेले होली मुझको कर दो रंग बिंरगी आओ मिलकर खेलें होली। पूजारन बन गई तेरी मेरा घनश्याम तू बन जा निरंतर चल रही हूँ में मेरा विश्राम तू बन जा मेरा व्रत है तुझे पाऊंगी में हर हाल में लेकिन में पावन बन गई राधाकृष्ण निष्काम तो बन जा।
वीर रस के कवि बहजोई से सौरभकान्त शर्मा ने कहा
है राष्ट्र बड़ा सारे ही धर्मों को छोड़कर,आओ करें प्रणाम सभी हाथ जोड़कर,इतना तो मान रखना मेरे प्रभु मेरा,अंतिम सफर पर निकलूँ तिरंगे को ओढ़कर।
कासगंज से आये हास्य रस के कवि निर्मल सक्सैना ने कहा एक मैसेज मैं मोहब्बत का तुझे सेण्ड करूँ,तू जो हां कर दे मैं अपना ये सफर एण्ड करूँ,तेरे दिल का जो ये रनवे कहीं मिल जाये मुझे,बन के राफेल सनम दिल में तेरे लेण्ड करूँ। एटा से आये हास्य रस के कवि डा० प्रशान्त देव मिश्र ने कहा फेसबुक ओर कुट हम क्या खोले जब तू ही नहीं प्रोफाइल में,
कितने दर्द छुपाते हैं हम झूठी सी स्माइल में,पूरे महीने अब ये मेरा टैरिफ खाली जाता है,तेरी अब मिसकॉल नहीं हैं मेरे इस मोबाइल में। सितारगंज से कवि रितेश जिन्दल ने कहा कि हम अभाव में हैं या,अभाव हम में है
इस मौके पर विनोद मित्तल,पिंकी कंसल,मनोज गोयल, यादराम जिन्दल,राजदीपक अग्रवाल, उमेश सिंघल,कपिल सिंघल, गोपाल गर्ग,नवतेज पाल सिहं
राजेन्द्र चौहान,पवन गोयल
चंचल अग्रवाल,सुन्दर मदान
त्रिलोक अरोरा,विलायती राम जी
हरजीत सिहं जी,गौरीशंकर जी
राजेन्द्र खुराना,नरेश कंसल, सुनील गर्ग,बजरंग मित्तल, रेनू चंचल,रेनू विनोद,रेनू सुनील भावना अग्रवाल,संगीता मित्तल मौजूद रहे व संचालन सौरभ कान्त शर्मा ने किया