देहरादून।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा अब कोरोना की नई लहर आने की संभावनाओं से साफ इन्कार किया जा रहा हो और नए कोरोना वैरीयंट को अधिक घातक न बताया जा रहा हो लेकिन उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे कोरोना केस और अस्पतालों में कोरोना लक्षण वाले मरीजों की बड़ी संख्या में पहुंचने से यह खतरा मंडराता दिख रहा है कि कोरोना एक बार फिर दबे पांव आ रहा है। बुखार-खासी और गले में खराश तथा बदन दर्द से पीड़ित मरीजों में इस बात को लेकर साफ भय देखा जा रहा है कि उन्हें कहीं कोरोना तो नहीं है।
बीते कुछ दिनों से राज्य में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार 100 से अधिक आ रही है। खास बात यह है कि देहरादून में हर रोज 50 के आसकृपास नए केस मिल रहे हैं। बीते 3 दिनों की बात की जाए तो साढे तीन सौ से अधिक नए केस आए हैं तथा एक की मौत हुई है। राज्य में सक्रिय मरीजों की जो संख्या 100 से नीचे थी वह 300 के पार होने वाली है इस साल 7 लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है। अभी केंद्र सरकार द्वारा बढ़ते खतरे के मद्देनजर सभी राज्यों में स्वास्थ्य विभाग ने मॉक ड्रिल के जरिए अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को जांचा परखा था। भले ही स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी कुछ भी दावा करें लेकिन राज्य में जांच का दायरा अत्यंत ही सीमित है। एक दिन में एक हजार से भी कम जांच कराने को लेकर स्वास्थ्य विभाग सवालों के घेरे में है। अगर जांच का दायरा बढ़ाया जाए तो बड़ी संख्या में कोरोना मरीज सामने आ सकते हैं। तब क्या स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही जानबूझकर जांच का दायरा नहीं बढ़ाया जा रहा है?

राज्य में 22 अप्रैल यानी एक सप्ताह बाद चार धाम यात्रा शुरू होने वाली है अगर राज्य में इसी तरह से कोरोना के मामले बढ़ते रहे तो स्थिति बिगड़ सकती है। उधर नेपाल-भारत सीमा पर पिथौरागढ़ क्षेत्र के दर्जनों पुलों पर जांच शुरू करने की बात कही जा रही है। यही नहीं राजधानी दून के तमाम अस्पतालों में हजारों की संख्या में कोरोना के लक्षणों वाले मरीज पहुंच रहे हैं जबकि जांच हर रोज 8 सौ 9 सौ ही पूरे राज्य में हो रही है। जिसमें कोरोना की दर 10 फीसदी के पार पहुंच चुकी है।

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