*एम्स ऋषिकेश की चौथी मंजिल में वाहन ले जाने की घटना में एसएसपी देहरादून में सभी पहलुओं का बारीकी से किया विश्लेषण*
*मौके पर मौजूद उग्र भीड़ के प्रदर्शन तथा मोब लिंचिंग की घटना की संभावना के दृष्टिगत आरोपी नर्सिंग ऑफिसर को सुरक्षित निकालने के लिए लिया गया था निर्णय*
*मौके पर बनी परिस्थितियों के दृष्टिगत एम्स प्रशासन द्वारा सुझाए गए रास्ते से पुलिस वाहन को ले जाया गया था मनोचिकित्सा वार्ड तक*
*आरोपी को वापस लाते समय पुलिस वाहन नहीं गुजरा था किसी भी इमरजेंसी वार्ड से, जांच में तथ्य आये सामने*
*अभियोग की Quality investigation हेतु क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश के पर्यवेक्षण में गठित की गई SIT, दो महिला उपनिरीक्षकों के अतिरिक्त अन्य कर्मचारियों को किया नियुक्त*
AIIMS ऋषिकेश में पुलिस वाहन को चौथी मंजिल पर ले जाने की घटना के संबंध में SSP देहरादून द्वारा एम्स ऋषिकेश जाकर एम्स प्रशासन के साथ वार्तालाप कर घटना के सभी पहलुओं की स्वयं बारीकी से जांच की गई। जांच के दौरान प्रकाश में आया कि दिनांक 19/05/24 को एम्स के ट्रॉमा सेंटर की OT में नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार द्वारा महिला डॉक्टरो के साथ छेड़छाड़ की गई थी, जिसके संबंध में महिला चिकित्सको द्वारा एम्स प्रशासन को रात्रि के समय अवगत कराया गया था। उक्त प्रकरण में एम्स प्रशासन द्वारा इंटरनल कमेटी गठित करते हुए दिनांक 21/05/2024 को आरोपी नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार को निलंबित किया गया था तथा इसकी सूचना पुलिस स्टेशन ऋषिकेश को दी गई थी, जिस पर तत्काल कोतवाली ऋषिकेश में संबंधित धाराओ में अभियोग पंजीकृत किया गया था।
घटना के पश्चात दिनांक 20/05/2024 को आरोपी नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार मनोचिकित्सक वार्ड में भर्ती हो गया था तथा दिनांक 21/05/2024 को एम्स ऋषिकेश के चिकित्सको व एमबीबीएस छात्रों द्वारा घटना के संबंध में मनोचिकित्सा विभाग के बाहर एकत्रित होकर उग्र प्रदर्शन किया गया, जिसकी सूचना एम्स प्रशासन द्वारा पुलिस को दी गई थी। पुलिस द्वारा मौके पर पहुंचकर परिस्थितियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया परंतु मौके पर 400- 500 चिकित्सकों एवं एमबीबीएस छात्रों द्वारा मनोचिकित्सक विभाग में भर्ती सतीश कुमार को उनके हवाले करने के लिए उग्र प्रदर्शन व नारेबाजी करते हुए मनोचिकित्सा विभाग के कक्ष में घुसने का प्रयास किया जा रहा था, मौके पर पुलिस तथा AIIMS प्रशासन द्वारा उन्हें समझाने का काफी प्रयास किया गया परंतु उनके द्वारा अत्यधिक उग्र होकर सुरक्षाकर्मियों/ पुलिस बल के साथ धक्का मुक्की की गई। मौके पर बनी परिस्थितियों में आरोपी की सुरक्षा/ मोब लिंचिंग की घटना की संभावना तथा नर्सिंग स्टाफ एवं डॉक्टर के मध्य आपस में टकराव की स्थिति से बचाव के दृष्टिगत एम्स प्रशासन तथा पुलिस द्वारा त्वरित निर्णय लेते हुए एम्स प्रशासन द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक इमरजेंसी मार्ग से पुलिस के सरकारी वाहन के माध्यम से आरोपी को मौके से बाहर निकाला गया। अभियुक्त को बाहर निकालने के दौरान उपस्थित भीड़ द्वारा लगातार वाहन का पीछा कर अभियुक्त को वाहन से खींचने का प्रयास किया गया। इस दौरान एम्स प्रशासन द्वारा बताए गए triaga एरिया से वाहन को बाहर निकाला गया, वाहन को किसी भी इमरजेंसी वार्ड के जरिए बाहर नहीं लाया गया था।
इसके अतिरिक्त एवं ऋषिकेश में लगे हुए सीसीटीवी कैमरा में घटना की फुटेज को सुरक्षित रखा गया है, साथ ही पीड़ित महिला चिकित्सक के प्रार्थना पत्र के आधार पर कोतवाली ऋषिकेश में दर्ज अभियोग की विवेचना हेतु क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश के पर्यवेक्षण में SIT टीम का गठन किया गया है, जिसमें दो महिला उप निरीक्षको के अतिरिक्त अन्य कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है।
एम्स वायरल वीडियो पर संज्ञान लेते हुए निरीक्षण करने ऋषिकेश पहुंच एसएसपी ! बताया पूरा सच
: ऋषिकेश एम्स अस्पताल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें साफ दिखाई पड़ रहा है कैसे अस्पताल की चौथी मंजिल पर पुलिस की एक गाड़ी घुस गई. इस दौरान वार्ड में जिसने भी ये मंजर देखा, हर कोई हैरानी में पड़ गया. इसी मामले को लेकर आज देहरादून एसएसपी जांच के लिए खुद ऋषिकेश एम्स पहुंचे उन्होंने एम्स अस्पताल के घटनास्थल का निरीक्षण किया वहीं एम्स के डायरेक्टर और सिक्योरिटी इंचार्ज से इस मामले को लेकर बातचीत भी की. प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई कि वायरल वीडियो इमरजेंसी वार्ड का न होकर मरीजों के एडमिट से पहले रुकने के लिए बनाई गई वेटिंग गैलरी का है.
आपको बता दें ये मामला 19 मई का बताया जा रहा है जब पीड़ित डॉक्टर ने पुलिस को लिखित तहरीर दी है कि ऑपरेशन थिएटर के अंदर महिला डॉक्टर के साथ छेड़छाड़ हुई है. इसके बाद आरोपी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी. इसके बाद आज एसपी देहरादून जांच के लिए खुद ऋषिकेश एम्स पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया।
एम्स में निरीक्षण के बाद देहरादून एसएसपी अजय सिंह ने बताया की पुलिस को छेड़ छाड़ मामले में तहरीर दी गई थी और आरोपी के खिलाफ लगातार आक्रोश डॉक्टर्स के बीच दिखाई पड़ा । इसी बीच आरोपी साइकेट्रिस्ट वार्ड में एडमिट हो गया था और इसके विरोध ने बाहर ढाई से तीन सौ लोग जमा हो गए । जिसके बाद पुलिस को जानकारी दी गई । जब पुलिस वहां पहुंची तो देखा की वहां पर लोग आक्रोश में और पिटाई करने की आवेश में थे । पुलिस द्वारा बहुत समझने के बाद भी जब वे नही माने तो एम्स एडमिनिस्ट्रेशन और सिक्योरिटी ऑफिसर द्वारा इमरजेंसी एग्जिट प्लान बना हुआ है जहां से रैंप का प्रयोग कर गाड़ी उपर लेजाकर आरोपी को निकाला गया । वहीं एसएसपी ने बताया की जो वीडियो वायरल हो रहा है वो कोई वार्ड नही है बल्कि वेटिंग एरिया है जहां सिक्योरिटी ने पुलिस की गाड़ी को गाइड किया जिसका कारण ये था की कहीं डॉक्टर्स या नर्सिंग स्टाफ के बीच झगड़ा न हो । एसएसपी ने कहा की उस वक्त परिस्थिति के हिसाब से जो भी किया गया ठीक किया गया।