नैनीताल। राज्य सरकार व माननीय न्यायालय के बीच अभी निकाय चुनाव को लेकर अटकलें जारी है जिसके चलते उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सरकार को प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं में नये सिरे से आरक्षण की स्थिति तय करने के आदेश दिए है।
न्यायालय के आदेश के बाद राज्य सरकार द्वारा घोषित आरक्षण के अनुसार तैयारी कर रहे प्रत्याशियों को गहरा झटका लगा है, वहीं अन्य रूप से आरक्षण की उम्मीद पाल रहे उम्मीदवारों की बांछें खिल गयी हैं। साथ ही इससे एक बार फिर उत्तराखण्ड में नगर निकाय चुनावों के और पीछे खिसकने की संभावना पैदा हो गयी है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने बीते 28 अप्रैल 2018 को आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी कर प्रदेश की 41 नगर पालिकाओं में से 39 नगर पालिकाओं में आरक्षण की स्थिति स्पस्ट कर दी थी। राज्य सरकार ने प्रदेश की दो नगर पालिकाओं श्रीनगर व बाजपुर को इस परिधि से बाहर रखा था। जिस पर किच्छा निवासी मुश्ताक अहमद ने राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट नैनीताल में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि राज्य सरकार ने जानबूझकर दो नगर पालिकाओं को आरक्षण की परिधि से बाहर रखा है, जो गलत है। वही राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई संतोषजनक जबाब न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया गया। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ में की गई थी।
न्यायालय ने राज्य सरकार का 28 अप्रैल 2018 की अधिसूचना को निरस्त कर श्रीनगर (गढ़वाल) ), व बाजपुर नगर पालिकाओं को भी सूची में शामिल कर नये सिरे से नगर पालिकाओं में आरक्षण की स्थिति को तय करने को कहा गया है।