उत्तराखंड में सरकारी नौकरी से डॉक्टरों का मोह भंग, देहरादून मेडिकल कॉलेज में पद 107 और इंटरव्यू देने आए सिर्फ 10 लोग
देहरादून मेडिकल कॉलेज में प्राइवेट की अपेक्षा कम सैलरी के चलते डॉक्टर नौकरी करने को तैयार नहीं हैं। यहां सर्जरी, पीडियाट्रिक्स, मेडिसिन, टीबी चेस्ट समेत तमाम विभागों को डॉक्टर छोड़ कर जा चुके हैं।
देहरादून मेडिकल कॉलेज में प्राइवेट की अपेक्षा कम सैलरी पैकेज के चलते डॉक्टर नौकरी करने को तैयार नहीं हैं। यहां सर्जरी, पीडियाट्रिक्स, मेडिसिन, टीबी चेस्ट समेत तमाम विभागों को डॉक्टर छोड़ कर जा चुके हैं। अब इंटरव्यू के लिए भी डॉक्टर नहीं मिल पा रहे हैं।
बुधवार को दून मेडिकल कॉलेज में 107 फैकल्टी, मेडिकल ऑफिसर के इंटरव्यू रखे गए थे। गुरुवार को जारी डिटेल के मुताबिक, इनमें 22 प्रोफेसर, 42 एसोसिएट प्रोफेसर, 39 असिस्टेंट प्रोफेसर एवं तीन मेडिकल ऑफिसर बर्न यूनिट के लिए रखे जाने थे। एक महिला मेडिकल ऑफिसर की भर्ती भी निकाली गई थी। मगर, यहां महज 10 डॉक्टर इंटरव्यू देने पहुंचे। बता दें कि दून मेडिकल कॉलेज से तीन से चार गुना तक वेतन प्राइवेट में दिया जा रहा है। सरकारी नौकरी से मोहभंग का यह बड़ा कारण है।
यूजी और पीजी की मान्यता पर संकट
फैकल्टी की कमी के कारण दून मेडिकल कॉलेज की यूजी और पीजी की मान्यता पर संकट बना हुआ है। एनएमसी ने यूजी सीटों के लिए दो माह का समय दिया है। जबकि, चार विभागों में पीजी सीटों से मना करते हुए 30 लाख जब्त कर लिए गए हैं।
हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए 53 ने दिया इंटरव्यू
सरकार ने अगले सत्र से हरिद्वार मेडिकल कॉलेज शुरू करने का लक्ष्य रखा है। फैकल्टी के इंटरव्यू शुरू कर दिए गए हैं। यहां 17 प्रोफेसर, 27 एसोसिएट प्रोफेसर, 45 असिस्टेंट प्रोफेसर, दो एमओ और एक एलएमओ की भर्ती निकाली गई है। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया, हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए 53 डॉक्टर ने इंटरव्यू दिया है। जल्द ही रिजल्ट जारी होगा। वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव शासन में लंबित है, दोबारा प्रयास चल रहा है।