जोशीमठ विकासखंड की और होनहार बेटी ने क्षेत्र का नाम रोशन किया है जोशीमठ के ढाक गांव की रहने वाली अमिता थपलियाल ने सिल्वर मेडल जीतकर एक बार फिर से जोशीमठ का नाम रोशन किया है 2018 19 बैच की पासिंग आउट में कुंडल महाराष्ट्र में सभी प्रकार की ट्रेनिंग को पास करने के बाद जोशीमठ की लाडली अमिता थपलियाल ने उत्तराखंड के साथ-साथ चमोली जनपद का नाम भी रोशन किया है अमिता थपलियाल बचपन से ही अपनी दादी के साथ जंगल में पेड़ों को बचाने की कोशिशें करती थी अमिता की दादी श्रीमती देवेश्वरी देवी ढाक गांव की पहली महिला मंगल दल अध्यक्ष भी रह चुकी हैं दादी से प्रेरणा लेकर बेटी ने भी पर्यावरण बचाने के साथ-साथ जंगल को बचाने की शपथ ली और उसके बाद अपने आप को वन विभाग में रेंजर के पद पर स्थापित कर दिया है अमिता थपलियाल के पिता दिनेश चंद्र थपलियाल सिंचाई विभाग में ऋषिकेश में कार्यरत हैं और माता शकुंतला देवी ग्रहणी है अमिता की प्रारंभिक शिक्षा दादी से जंगल बचाने की मिली प्रेरणा तो पोती बन गई रेंजर जोशीमठ विकासखंड की और होनहार बेटी ने क्षेत्र का नाम रोशन किया है जोशीमठ के ढाक गांव की रहने वाली अमिता थपलियाल ने सिल्वर मेडल जीतकर एक बार फिर से जोशीमठ का नाम रोशन किया है 2018 19 बैच की पासिंग आउट में कुंडल महाराष्ट्र में सभी प्रकार की ट्रेनिंग को पास करने के बाद जोशीमठ की लाडली अमिता थपलियाल ने उत्तराखंड के साथ-साथ चमोली जनपद का नाम भी रोशन किया है अमिता थपलियाल बचपन से ही अपनी दादी के साथ जंगल में पेड़ों को बचाने की कोशिशें करती थी अमिता की दादी श्रीमती देवेश्वरी देवी ढाक गांव की पहली महिला मंगल दल अध्यक्ष भी रह चुकी हैं दादी से प्रेरणा लेकर बेटी ने भी पर्यावरण बचाने के साथ-साथ जंगल को बचाने की शपथ ली और उसके बाद अपने आप को वन विभाग में रेंजर के पद पर स्थापित कर दिया है अमिता थपलियाल के पिता दिनेश चंद्र थपलियाल सिंचाई विभाग ऋषिकेश में कार्यरत हैं और माता शकुंतला देवी ग्रहणी है अमिता की प्रारंभिक शिक्षा प्रणवानन्द विद्या मंदिर जोशीमठ से तो उच्च शिक्षा ऋषिकेश में संपन्न हुई एमएससी केमिस्ट्री से करने के बाद अमिता का चयन रेंजर की पोस्ट पर हुआ जहां महाराष्ट्र के कुंडल में ट्रेनिंग करने के बाद आज अनीता पौड़ी जिले में रेंजर के पद पर पोस्टिंग पा चुकी है अमिता की रेंजर पद पर चुने जाने के बाद गांव में खुशी का माहौल है और घरवाले मिठाई बांटकर इन खुशियों के पल को कैद कर रहे हैं सिल्वर मेडल जीतने के बाद अमिता का सपना है कि वह अपने जोशीमठ क्षेत्र के साथ-साथ अपने पद पर रहकर उत्तराखंड का नाम रोशन करे
दादी से जंगल बचाने की मिली प्रेरणा तो पोती बन गई रेंजर
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