डीएफओ की नाफरमानी पर शासन का चढ़ा पारा, बैठक में उपस्थित होने को दिए कड़े निर्देशजिलों में जिलाधिकारी राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं। सरकार की ओर से संचालित कई विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कई विभागों और एजेंसियों के बीच समन्वय बनाना भी डीएम की जिम्मेदारी है।

जिलों में जिलाधिकारी की ओर से विकास कार्यों के संबंध में बुलाई जाने वाली बैठकों में जाने से प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) कन्नी काट रहे हैं। कई जिलों से इसकी शिकायत मिलने के बाद शासन ने इसका कड़ा संज्ञान लिया है।प्रमुख सचिव वन ने पीसीसीएफ (हॉफ) को पत्र लिखकर इस संबंध में कड़े निर्देश जारी करते हुए डीएफओ के मासिक एवं अन्य जरूरी बैठकों में आवश्यक रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।

जिलों में जिलाधिकारी राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं। सरकार की ओर से संचालित कई विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कई विभागों और एजेंसियों के बीच समन्वय बनाना भी डीएम की जिम्मेदारी है।

जिला स्तर पर विकास कार्यों से संबंधित कई प्रकरणों में वन भूमि और अन्य अड़चनें सामने आती हैं। ऐसे में इन बैठकों में प्रभागीय वनाधिकारी का होना आवश्यक रहता है। इस संबंध में पूर्व में मुख्य सचिव की ओर से भी आदेश जारी किए गए हैं। अब इस संंबंध में प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु की ओर से वन विभाग के प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक को कड़ा पत्र लिखा गया है।

जिसमें कहा गया कि आपके स्तर से सुनिश्चित कर लिया जाए कि जिलाधिकारी के स्तर से बुलाई जाने वाली बैठकों में डीएफओ आवश्यक रूप से प्रतिभाग करें। यदि किसी कारणवश या राजकीय कार्य की वजह से बाहर होने पर वह बैठक में भाग नहीं ले पा रहे हैं, तो इसकी सूचना पूर्व में ही जिलाधिकारी को दें। भविष्य में इन प्रकार की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए भी ताकीद किया गया है।

तीन जिलों के जिलाधिकारियों ने की शिकायत
शासन के सूत्रों की मानें तो हाल ही में देहरादून, उत्तरकाशी और ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। जिसमें कहा गया कि संबंधित जिलों के डीएफओ आवश्यक बैठकों में नहीं पहुंच रहे हैं और न ही अनुपस्थित रहने के कारण की सूचना दी जा रही है। इससे विकास से संबंधित तमाम कार्यों में दिक्कतें पेश आ रही