Home उत्तराखण्ड गदरपुर चीनी मिली पीपीडी मोड पर, बदलेगें किसानों के दिन

गदरपुर चीनी मिली पीपीडी मोड पर, बदलेगें किसानों के दिन

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रुद्रपुर। बंद हो चुकी गदरपुर चीनी मिल को पीपीडी मोड पर चलाने के निर्णय से चीनी मिल के फिर से दिन बहुरने की उम्मीद है। सरकार चीनी मिलों को लाभ की इकाई बनाने के लिए उनके आधुनिकीकरण पर भी विचार कर रही है। गन्ना विकास मंत्री प्रकाश पंत ने बताया कि किच्छा, बाजपुर, नादेही और डोईवाला के आधुनिकीकरण पर विचार किया जा रहा है। बाजपुर और नादेही चीनी मिलों में यूजेवीएनएल के सहयोग से विद्युत उत्पादन के लिए को जनरेशन प्लांट लगाने को शीघ्र एमओयू करने के निर्देश दिए गए। साथ ही किच्छा चीनी मिल में को जनरेशन हेतु सर्वे करने के निर्देश दिए गए। बाजपुर डिस्टीलरी के (ईटीपी एफ्लुएंट ट्रीटमेण्ट प्लांट) हेतु एनसीडीसी (नेशनल कोपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) को प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया, जिसकी गारंटी सरकार देगी। सितारगंज और गदरपुर चीनी मिलों हेतु सह उद्योगों को प्राथमिकता देते हुए निजी क्षेत्र से ईओआई प्राप्त करने का निर्णय भी लिया गया। पंत ने का कहना है कि पिछले एक वर्ष में गन्ना क्षेत्रफल 84956 हेक्टेयर से बढ़कर 86053 हेक्टेयर हो गया है। गन्ने की पेराई में एक वर्ष में 60 लाख क्विंटल का इजाफा हो गया है। विगत एक साल में चीनी उत्पादन 34.55 लाख कुंटल से बढ़कर 41.69 क्विंटल हो गया है तथा रिकवरी प्रतिशत भी 9.86 से बढ़कर 10.19 प्रतिशत हो गया है।
बताया कि मंत्रियों की विभागीय अफसरों के साथ बैठकों का दौर जारी है। पहले मंत्री मदन कौशिक ने बैठक ली थी, वहीं अब वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने गन्ना फेडरेशन के अधिकारियों की बैठक ली। श्री पंत ने कहा कि अभी तक निजी किसानों का शुगर मिलों पर 512 करोड़ और 22 लाख रुपये भुगतान बाकी है। जबकि 339 करोड़ 75 लाख का भुगतान हो चुका है। कहा कि अब एक नई एडवाइजरी जारी कर दी गई हैए जिसमें कि शुगर फेडरेशन हर दिन चीनी के दामों की घोषणा करेगी। साथ ही शुगर मिलों के आधुनिकीकरण के लिए भी पहल की जा रही है, जिसमें दो चीनी मिलों का एमओयू भी साइन हो चुका है। उन्होंने कहा कि इससे किसान अपनी चीनी को रिटेल में भी बेच पाएंगे।
वर्तमान में चीनी का औसत मूल्य 2600 रुपये से भी नीचे जाने का अनुमान है, जो कि काफी न्यूनतम है। इससे किसानों को नुकसान हो रहा है, लेकिन रिटेल में बेचे जाने से यह 3500 रुपये क्विंटल मूल्य पर बेची जाएगी।
तीसरा निर्णय सरकार का यह है कि सरकार स्थल बनाने का काम करेगी। जिसका चीनी मिलों से प्रोजेक्ट बनाने का निर्देश दिया गया है। प्रकाश पंत का कहना है कि सरकार की इस वर्ष रिकवरी भी अच्छी रही है। सरकार का रिकवरी का मानक इस बार 10.14 रहा है। इस बार शुगर उत्पादन भी काफी ज्यादा रहा जो कि पिछली बार 34.55 लाख क्विंटल था जो अब बढ़कर 41.50 लाख क्विंटल हो गया है।
ऐसे में सरकार के पास प्रोडक्शन ज्यादा होने पर काफी मात्रा में चीनी भी बची है, जिससे आगे की पूर्ण रूप से भरपाई हो पाएगी। उन्होंने बताया कि सितारगंज की जो चीनी मिल अभी चल नहीं पा रही थी, उसे पीपीपी मोड पर दिया गया है। वहां कर्मचारियों के पैसों का भुगतान होना है। उसके लिए सरकार ने 132 करोड़ की धनराशि की मांग सरकार से की है। इसके अलावा बंद पड़ी गदरपुर चीनी मिल को फिर से खोलने की शुरूवात की जा रही है। सरकार पीपीडी मोड पर इस चीनी मिल को चलाने की योजना बना रही है।
बता दें कि राज्य गठन में गन्ना उत्पादन क्षेत्र का अधिकांश भाग यूपी में चला गया। इसके अलावा यूपी सरकार ने उत्तराखंड के चीनी उद्योग को झटका देने के लिए राज्य की सीमा पर कई नई चीनी मिलें खड़ी करा दी, जिससे उत्तरांखड का चीनी उद्योग बुरी तरह से लड़खड़ा गया।
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेश परिहार भी समय समय पर मुख्यमंत्री और गन्ना मंत्री से मुलाकात कर गन्ना किसानों और चीनी मिल कर्मचारियों की समस्याओं को उठाते रहे हैं। सरकार की ओर से गदरपुर चीनी मिल को पीपीपी मोड पर देकर उसे सुचारू रूप से चलाने का जो निर्णय लिया है, उसमें कहीं न कहीं सुरेश परिहार का भी बड़ा सहयोग रहा है। अगर गदरपुर चीनी मिल के दिन बहुरेंगे तो उसका फायदा जहां क्षेत्र के गन्ना किसानों को होगा, वहीं कर्मचारियों को भी नौकरी जाने का जो डर खत्म हो जाएगा। परिहार की कोशिश रंग लाई तो गदरपुर चीनी मिल के ताले फिर खुल जाएंगे और बेरौनक पड़ी चीनी मिल में फिर से रौनक आ जाएगी।

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