वेदनी बुग्याल में में 2 हजार श्रद्धालु बनें लोकजात के साक्षी
माँ नंदा के जयकारों से गुंजयमान हुई मखमली वेदनी बुग्याल
वेदनी की सुंदरता से अभिभूत हुये श्रद्धालु
7 बजे वेदनी पहुंची डोली, 10 बजे वेदनी से बांक के लिए लौटी

वेदनी बुग्याल(देवाल)।

आखिरकार बीते एक पखवाडे से चमोली के 7 विकासखंडो के 800 से अधिक गांवों में आयोजित माँ नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा बृहस्पतिवार को नंदा सप्तमी के दिन सम्पन्न हो गयी। माँ नंदा राजराजेश्वरी की डोली बृहस्पतिवार सुबह अपने अंतिम पड़ाव गैरोली पातल से वेदनी बुग्याल में स्थित वेदनी कुंड में पहुंची। जहां पहुंचकर सर्वप्रथम डोली नें वेदनी कुंड की परिक्रमा की तत्पश्चात माँ नंदा की डोली को अपने नियत स्थान पर रखा गा। जिसके बाद माँ नंदा की पूजा अर्चना कर श्रद्धालुओं नें मां नंदा को ककडी, अखरोट, चूडा-खाजा, चूड़ी, बिंदी, सहित श्रृंगार की विभिन्न सामग्री भेंट की। पूजा अर्चना के बाद माँ नंदा को कैलाश को विदा किया इस अवसर पर महिलाओं नें नंदा की विदाई के लोकगीत और जागर गाये जिससे सभी श्रद्धालुओं की आंखें छलछला गयी। एक साल बाद फिर लोकजात आयोजित करने का वचन देने और माँ नंदा को कैलाश विदा के साथ नंदा की वार्षिक लोकजात सम्पन्न हो गयी। भक्तों को आशीष वचन देने के बाद माँ नंदा राजराजेश्वरी की डोली वेदनी बुग्याल से आली बुग्याल होते हुये रात्रि विश्राम को बांक गांव लौट आई। इस दौरान पूरा वेदनी बुग्याल मां नंदा के जयकारों से गुंजयमान हो गयी। वेदनी बुग्याल में लोकजात के समापन पर लगभग 2 हजार से अधिक श्रद्धालु यहाँ पहुंचे थे। हर कोई बरसों बाद वेदनी की सुंदरता को देखकर गदगद हो गये। गौरतलब है कि 20 साल बाद खिले अनगिनत फूलों नें इस बार वेदनी बुग्याल की पर चार चाँद लगा दिए हैं।

वेदनी बुग्याल में लोकजात के समापन पर चौकी इंचार्ज देवाल जगमोहन पडियार, तहसीलदार थराली सोहन रांगड, टीएस बिष्ट वन दरोगा देवाल, हीरा सिंह पहाडी निवर्तमान क्षेत्र पंचायत सदस्य वाण, रूपकुण्ड महोत्सव समिति के अध्यक्ष जीत सिंह दानू और सचिव रूपा देवी सुरेन्द्र सिंह बिष्ट सामाजिक कार्यकर्ता, बलवंत सिंह बिष्ट, लोकजागरी हुकुम सिंह बिष्ट, हीरा सिंह गढ़वाली, भुवन सिंह, सहित हजारों लोग उपस्थित रहे।

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रूपकुण्ड महोत्सव में जींवत हुई पहाड़ की लोकसंस्कृति।

वेदनी बुग्याल(देवाल)!

वेदनी बुग्याल में आयोजित रूपकुण्ड महोत्सव के दूसरे दिन देर शांय से पूरी रातभर पहाड़ की लोकसंस्कृति जींवत हो उठी। महोत्सव में स्थानीय युवा गायिका पूजा नेगी ने… नंदा कु कौथिग लगुलू वेदनी बुग्याल में ….और युवा गायक कुंदन सिंह बिष्ट नें हे भोले बाबा शिवजी कैलाश.., सहित माँ नंदा और भोले शिव के गीतों की एक के बाद एक शानदार प्रस्तुति से महोत्सव को नंदामय बना दिया। पूरी रात तक हजारों श्रद्धालु माँ नंदा के गीतों और जागरों संग झूमते रहे। जबकि युवा गायक दर्शन सिंह फरस्वाण नें ..दादू मेरी बजोंदी जौंला हुडकी घमाघम…. और फ्वां बाग रे …से श्रद्धालुओं को देर रात तक थिरकने को मजबूर कर दिया। वहीं ग्रामसभा प्राथा, कुराड, बलाण, कुलिंग, वाण, बांक की महिला मंगल दलो द्वारा पारम्परिक परिधान में झुमेलो, चांचणी, झोडा, दांकुणी, माँ नंदा के लोकगीतों की प्रस्तुति को देखकर महोत्सव में आये हर श्रद्धालु अभिभूत हो गया। महिलाओं द्वारा .. खोल दे माता खोल भवानी धार मा किवाड़, क्या लियुंच भेंट पावर क्यों खोलूं किवाड…, रे नंदा निसाण झुमेको ले, ये नंदा की जात झुमेको…., एक बैणी दिन दशम दशोली, एक बैणी दिन बारा बधाण …., नंदा तेरी जात कैलाश लिजोला सजी धजी की ….. सहित विभिन्न प्रस्तुति दी। महिलाओं की प्रस्तुतियों नें माँ रूपकुण्ड महोत्सव में चार चाँद लगा दिए हैं। इस अवसर पर महिला मंगल दल वाण की अध्यक्षा धामती देवी, रूकमा देवी, चंद्रा देवी, धनुली देवी, नंदी देवी, पूजा, सीता देवी, मानुली देवी सहित विभिन्न गांवों की सैकड़ों महिलाएं उपस्थित थी।

रूपकुण्ड महोत्सव समिति के अध्यक्ष जीत सिंह दानू और सचिव रूपा देवी( बुग्यालो की मदर टेरेसा) नें कहा की इस बार रूपकुण्ड महोत्सव अपने उद्देश्य में बेहद सफल साबित हुआ। उन्होने कहा की महोत्सव में पहाड़ की पौराणिक लोकसंस्कृति जींवत हो गयी। आनें वाले वर्षों में रूपकुण्ड महोत्सव पूरे प्रदेश में अपनी अलग छाप छोडेगा। लोकजात के समापन पर तीन दिवसीय रूपकुण्ड महोत्सव का भी समापन हो गया। इस अवसर पुरुस्कार भी वितरण किये गये।

लोकजात में पर्यावरण पर भी चिंतन! बेदनी में कहीं नहीं दिखा कूडा।

वेदनी बुग्याल में सम्पन्न लोकजात के अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा पर्यावरण को लेकर भी चिंता व्यक्त की गयी। लोगों को बुग्यालो को बचाने की अपील की गयी। श्रद्धालुओं वेदनी बुग्याल की बदली हुई तस्वीर और रंगत देखकर अभिभूत हो गये। श्रद्धालुओं नें वेदनी बुग्याल में मौजूद सभी प्लास्टिक और कूडे को एकत्रित किया और अपने अपने साथ वापस ले आये।

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