देहरादून।

सीएम पुष्कर धामी भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अख्तियार किए हुए हैं। पहले आईएएस रामविलास यादव को जेल, उद्यान निदेशक बावेजा पर एक्शन, आयुर्वेद विवि के वित्त नियंत्रक अमित जैन का निलंबन, घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कालेज के भ्रष्टाचारियों पर एक्शन लेकर सख्त संदेश दिया।

अब सीएम पुष्कर धामी की नजर जनता और कर्मचारियों के पैसे की आयुष्मान योजना में हो रही बर्बादी के खिलाफ थी। आयुष्मान योजना में फिजूल के खर्चों पर करोड़ों रुपये ठिकाने लगाने की शिकायत थी। जो पैसा सरकार आयुष्मान मैनेजमेंट को लोगों को पांच लाख का निशुल्क इलाज देने के लिए दे रही थी, उस बजट को अफसर अपनी सुविधाओं पर खर्च करते रहे।

सबसे पहले आईटी पार्क में शानदार होटलनुमा ऑफिस किराए पर लिया गया। इस ऑफिस में फर्नीचर, सोफे, उपकरणों, एलईडी टीवी पर करोड़ों का बजट ठिकाने लगाया। यहां अफसरों के कमरों में लाखों के सोफे, लाखों के टीवी लगाए गए। फिर आंख बंद कर अफसरों ने अपने चहेतों को यहां भर्ती किया। इस भर्ती पर भी सवाल उठे। उसके बाद आयुष्मान योजना में प्राइवेट अस्पतालों को इम्पेनेलमेंट करने में खेल हुआ। अर्जी फर्जी, सुविधा विहीन अस्पतालों को योजना से जोड़ दिया गया। इन अस्पतालों ने करोड़ो के फर्जी बिल लगा कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया। ये सब फर्जीवाड़ा इन अफसरों के सामने होता रहा, लेकिन किसी ने कोई सुध नहीं ली।

कर्मचारियों के मेडिकल बिलों का कभी समय पर निस्तारण नहीं किया गया। इसके कारण प्राधिकरण के अफसरों ने सरकार की स्थिति कर्मचारी संगठनों के सामने कमजोर की। इन तमाम गड़बड़ियों का संज्ञान लेते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पूरे स्वास्थ्य प्राधिकरण की गड़बड़ियों का पोस्टमार्टम करने की तैयारी कर ली है। सूत्रों के अनुसार एक विस्तृत जांच शुरू होने जा रही है। जांच प्रभावित न हो सके, इसी को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले स्वास्थ्य प्राधिकरण से अरुणेंद्र चौहान का विकेट गिराया गया। उन्हें प्राधिकरण से बाहर किया गया। अरुणेंद्र चौहान की प्राधिकरण से विदाई हुए एक सप्ताह भी नहीं गुजरा कि अध्यक्ष डीके कोटिया ने भी इस्तीफा दे दिया। जबकि उनका कार्यकाल जल्द दो महीने बाद ही समाप्त होने जा रहा था।

कभी रिटायर हुए ही नहीं कोटिया

आईएएस अफसर रहे डीके कोटिया असल में कभी रिटायर हुए ही नहीं। सरकारी पद से रिटायर होते ही उन्होंने सर्विस ट्रिब्यूनल में ज्वाइन किया। ट्रिब्यूनल भी उस दौरान बैकडोर भर्ती को लेकर सुखिर्यों में रहा। ट्रिब्यूनल में भी कई बैकडोर भर्ती हुई। ट्रिब्यूनल से कार्यकाल पूरा करते ही स्वास्थ्य प्राधिकरण में अध्यक्ष का पद संभाल लिया। अब सितंबर में पांच साल का कार्यकाल पूरा होना था।

रिटायरमेंट से दो महीने इस्तीफा बना मजाक

स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया का अपने रिटायरमेंट से सिर्फ दो महीने पहले इस्तीफा देने का मजाक उड़ रहा है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि पांच साल पूरी मौज करने के बाद रिटायरमेंट से दो महीने पहले इस्तीफा देने से साफ है कि जांच में गड़बड़ियों का खुलासा होने के डर से ही इस्तीफा दिया है।

कर्मचारी संगठन भी खोले हुए थे मोर्चा

आयुष्मान योजना में गड़बड़ियों को लेकर कर्मचारी संगठन भी लगातार मोर्चा खोले हुए हैं। सचिवालय संघ से लेकर अधिकारी कर्मचारी समन्वय समिति समेत सभी बड़े कर्मचारी संगठनों ने प्राधिकरण पर सवाल उठाए रखे हैं। कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि गोल्डन कार्ड के नाम पर हर साल कर्मचारियों के खातों से करोड़ों रुपये स्वास्थ्य प्राधिकरण में जमा हो रहे हैं। इसके बाद भी कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। अभी तक दवाइयां, मेडिकल जांच तक योजना में शामिल नहीं की गई है। बड़े अस्पतालों को पैनल में शामिल नहीं किया गया है। कर्मचारियों ने करोड़ों के बजट को अपनी ऐशो आराम पर खर्च करने का आरोप प्राधिकरण पर लगाया था।

योजना को बाधित करने का प्रयास

आयुष्मान योजना के सीईओ अरुणेंद्र चौहान को सरकार ने हटा दिया था। ऐसे में योजना का दारोमदार काफी हद तक अध्यक्ष पर आ गया था। ऐसे में अचानक अध्यक्ष ने भी इस्तीफा दे दिया। इसे योजना को बाधित करने का भी प्रयास माना जा रहा है। सरकार इस पहलू की भी जांच कराने की तैयारी में है।

खंडूडी कैंप के मजबूत स्तंभ रहे कोटिया और चौहान

प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया और वित्त सेवा के अफसर अरुणेंद्र चौहान को पूर्व सीएम बीसी खंडूडी कैंप का बहुत ही विश्वस्त माना जाता है। खंडूडी सरकार में इन दोनों अफसरों की तूती बोलती थी। यही जलवा दोनों का अल्पकाल वाली खंडूडी के शार्गिद तीरथ सिंह रावत की सरकार में भी रहा।

ऋतु खंडूडी ने भी कोटिया पर जताया था विश्वास

पूर्व सीएम बीसी खंडूडी के साथ ही उनकी बेटी स्पीकर ऋतु खंडूडी को भी इन अफसरों पर बहुत विश्वास है। विधानसभा भर्ती की जांच का जिम्मा भी ऋतु ने डीके कोटिया को ही दिया था।

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