मोहंड के जंगलों में दून-दिल्ली एक्सप्रेस-वे के काम ने तेजी पकड़ ली है। बरसाती नदी में एलिवेटेड कॉरिडोर का काम आकार लेने लगा है। पिलर खड़े होने लगे हैं। उत्तराखंड की सीमा में भी काम ने रफ्तार पकड़ ली है। डाटकाली में नई डनल की खुदाई भी शुरू हो गई है।
दून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार दिसंबर को दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था। यह उत्तराखंड में पर्यटन और कारोबार के नजरिये से अहम माना जा रहा है। इसलिए इसे दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर नाम भी दिया गया है। वन्यजीवों की सुरक्षा की दृष्टि से राजाजी नेशनल पार्क के जंगल वाले इलाके में करीब 14 किमी एलिवेटेड रोड बन रही है। एलिवेटेड फ्लाईओवर का काम राम कुमार कंस्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। इस एक्सप्रेस-वे के बनने से दिल्ली से दून का सफर ढाई घंटे में हो सकेगा। उत्तराखंड के सीमावर्ती यूपी के गणेशपुर गांव से दून के आशारोड़ी चेकपोस्ट तक एक्सप्रेस-वे की लंबाई करीब 20 किमी है।
दिल्ली से दून तक तीन चरण में एक्सप्रेस-वे बन रहा है। गणेशपुर से आशारोड़ी तक यह आखिरी चरण का काम है। एनएचएआई के साइड इंजीनियर रोहित पंवार ने बताया कि एलिवेटेड फ्लाईओवर के लिए बरसाती नदी में पिलर तैयार किए जा रहे हैं। करीब 15 फीसदी पिलर की बुनियाद डल चुकी है। कोशिश है कि इस मानसून सीजन से पहले सभी पिलर बुनियाद पर खड़े हो जाएं। क्योंकि बरसात में नदी में काम करने में दिक्कत आएगी। यूपी के बाद अब उतराखंड वाले हिस्से में भी काम ने तेजी पकड़ी है।
रिब लगाकर मशीन से टनल की ड्रिलिंग
देहरादून। डाट काली में सहारनपुर वाले छोर से 340 मीटर लंबी नई टनल की खुदाई शुरू हो गई है। टनल के लिए दो महीने से बेस तैयार किया जा रहा था। सोमवार से यहां लोहे की रिब लगाकर मशीन के जरिये ड्रिलिंग शुरू हो गई है। टनल का काम भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला है। कंपनी इससे पहले अक्तूबर 2018 में डाट काली में एक टनल बना चुकी है। तब कंपनी ने तय डेडलाइन से आठ महीने पहले काम पूरा करने के साथ सरकार के नौ करोड़ रुपये भी बचाए थे। टनल से जुड़े इंजीनियरों ने बताया कि पिछली टनल की तरह इसपर भी तेजी से काम पूरा होगा।
मोबाइल नेटवर्क ठप, पानी की किल्लत
देहरादून डाट काली मंदिर से मोहंड तक जंगल में मोबाइल नेटवर्क नहीं आने से निर्माण कंपनी के इंजीनियर और कर्मचारियों को मुश्किल हो रही है। कंपनी ने वॉकीटॉकी का सेटअप लगाया है, लेकिन इसका दायरा सिर्फ डेढ़-दो किमी तक ही रहता है। समस्या आने पर एक-दूसरे से संपर्क करने में मुश्किल हो रही है। इसके अलावा जंगल के कई इलाकों में पानी की किल्लत है। ऐसे में टैंकर के जरिये पानी पहुंचाया जा रहा है। निर्माण कंपनी ने सीमेंट मिक्सर वाहन और अन्य ट्रकों की आवाजाही के लिए नदी में सड़क बनाई है।