वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी को 4 साल से अधिक का समय बीत चुका है। इस दौरान कोरोना के कई वैरिएंट्स सामने आ चुके हैं। लोगों में इस महामारी के हल्के से लेकर गंभीर स्तर के लक्षण रिपोर्ट किए गए हैं।

कोरोना का खतरा अभी भी थमा नहीं है। इस बीच अकादमिक जर्नल साइंस एडवांस में जीवन प्रत्याशा को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। इस रिपोर्ट को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि कोरोना के कारण भारत में जीवन प्रत्याशा की दर में काफी गिरावट आई है।

साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार भारत में 2019 और 2020 के दौरान औसत आयु 2.6 साल कम हो गई। स्टडी के अनुसार सामाजिक रूप से वंचित समुहों और मुसलमानों की आयु में कमी आई है। इसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गिरावट अधिक देखी जा रही है। रिपोर्ट को परिवार और स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय ने खारिज कर दिया।

मंत्रालय ने बताई यह कमियां

स्टडी में कई कमियों को उजागर करते हुए मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट बनाने वाले शोधकर्ताओं ने पूरे देश में मृत्यु दर का अनुमान लगाने के लिए जनवरी से अप्रैल 2021 के बीच राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के परिवारों के डेटा उपयोग किया गया। मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट तभी सटीक होती जब परिवार सर्वेक्षण सैंपल के डेटा का पूरी तरह उपयोग किया जाता। ऐसे में रिपोर्ट में केवल 14 राज्यों के 23 प्रतिशत परिवारों को शामिल किया गया है जो कि मृत्यु के सही आंकड़े जारी नहीं करता है।

रिपोर्ट को लेकर मंत्रालय ने क्या कहा?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने रिपोर्ट में पक्षपात को लेकर भी आलोचना की है। क्योंकि इसका डेटा कोविड-19 महामारी के चरम के दौरान लिया गया था। मंत्रालय ने कहा कि भारत में नागरिक पंजीकरण प्रणाली मजबूत है जिसके अनुसार 99 प्रतिशत मौतें दर्ज की गई। सरकार ने कहा कि 2019 की तुलना में मृत्यु पंजीकरण में लगभग 4 लाख 74 हजार की वृद्धि दर्ज की गई। ऐसे में ये वृद्धि केवल महामारी के कारण नहीं हुई है जबकि पिछले सालों के अनुरूप ही है