भारत भूमि दिब्य है भगवान ने स्वयं भारत की पावन भूमि में एक बार नही कई बार अवतार लिया देवो में तड़पन होती है अवतरने के लिए जहाँ धर्म और शास्त्र सभी को जोड़ने की प्रेरणा देते हैं आज धर्म के नाम पर शोषण होने लगा है अनेक पाखण्डी अपने को भगवान का अवतार बताकर पुजवाने लगे हैं इन कलयुगी अवतारों से सावधान रहना चाहिए मानव भगवान का पुजारी या भक्त हो सकता है किंतु स्वयं भगवान कैसे हो सकता है
उक्त बिचार ज्योतिष्पीठ ब्यास आचार्य श्री शिव प्रसाद ममगाईं जी ने रविग्राम जोशीमठ में चल रही श्रीमद्भागवत में व्यक्त करते हुए कहा कि राम कृष्ण की सेवा का अधिकारी वही है जो माता पिता की सेवा करे भक्ति का मूल भगवान के बारे में ह्रदय से प्रेम उत्पन्न करना है जब आंतरिक प्रेम होने लगेगा तो प्रभु की उपासना सेवा बिना एक क्षण भी काटना कठिन हो जायेगा यही भागवत धर्म का प्रथम लक्षण है बार बार कथा सुनना या संकीर्तन करना यही कल्याण मार्ग का सरल रास्ता है कलयुग में भगवान का पावन नाम ही कल्याण का सुगम रास्ता बताया गया है आचार्य श्री ने कहा कि लोग शिकायत करते हैं कि नाम जप में मन नही लगता परंतु तीन तीन घंटे टी वी पर गंदी फ़िल्म देखने मे तन्मयता कैसे आ जाती है तब चित चंचल क्यों नही होता कमाई भोग व्यापार व्यवहार में मनुष्य भोजन तक भूल जाता है इसका एक ही कारण है भक्ति में आस्था की कमी होना गुरु केवल सिर पर हाथ रखकर कल्याण कर देंगे उस भ्रांति को ह्रदय से निकाल दो विग्रह और मूर्ति को साक्षात विग्रह मानकर पूजो मूर्ति पूजा विधान को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कर्म ही धर्म है वेद के बताए मार्ग पर चलना ही धर्म है भगवान श्री कृष्ण ने वर्णाश्रम के पालन पर जोर दिया
इस अवसर पर मुख्य रूप से हरीश डिमरी संदीप डिमरी मोहित मैठाणी संकल्प मैठाणी रामप्रसाद महीधर प्रसाद बहुगुणा कविता डिमरी बद्री केदार समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल जगदीश पंथ नेहा बरखा सुरुचि डॉ संजय डिमरी विनोद डिमरी श्रीराम हर्षवर्धन भट्ट सुभाष डिमरी नवनीत सिलोड़ी पार्षद समीर डिमरी वियान डिमरी ऋषि प्रसाद सती कुशलानंद बहुगुणा आशीष दीपक अनुराग संजीव हिमानी प्रिया लक्ष्मी प्रसाद बिनोद नवानि अनिल खंडूरी उषा भुवनेश्वरी देवी राजेन्द्र डिमरी आदि भक्त भारी संख्या में उपस्थित रहे !!!