चकराता। क्षेत्र के 2013 में आपदा प्रभावित गांव मैसासा में अब तक घरों के बीच बिखरा मलबा अब तक नहीं उठाया गया है। लोक निर्माण विभाग कालसी के अधिशासी अभियंता की रिपोर्ट में गांव तक सड़क पहुंचे बिना मलबा उठाने में असमर्थता जताई गई है। गांव के लिए चार किमी मोटर मार्ग स्वीकृत हो गया है लेकिन धनाभाव में यह सड़क नहीं बन पाई है। गौरतलब है कि इस सड़क का निर्माण मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल है। यदि मुख्यमंत्री की घोषणा के लिए ही सरकार के पास धन नहीं है तो इन घोषणाओं का क्या औचित्य रह जाता है।
नवक्रंति स्वराज मोर्चा के एडवोकेट गंभीर सिंह चैहान का कहना है कि 2013 की आपदा में मैसासा गांव में मलबा आ गया था। यह मलबा लोक निर्माण विभाग की लगत नीति की वजह से आया था। गांव से ऊपर सड़क कटिंग कर मलबा पहाड़ी की तरफ ऐसे ही लुड़का दिया गया था। 2013 में अतिवृष्टि के दौरान यह मलबा मैसासा गांव में घुस गया। उसके बाद जिला प्रशासन से लेकर आपदा प्रबंधन और लोक निर्माण विभाग कोई भी इस मलबे को उठाने को तैयार नहीं हुआ। लगातार इस मामले को उठाते रहने के बाद जिलाधिकारी ने लोक निर्माण विभाग को स्थालीय निरीक्षण के निर्देश दिए। लोनिवि के अधिशासी अभियंता कालसी ने स्थलीय निरीक्षण कर जिलाधिकारी को भेजी अपनी रिपोर्ट में बताया कि गांव में अत्यधिक मलबा बिखरा हुआ है। बिना जेसीबी मशीन के इसे निकालना संभव नहीं है। चूंकि गांव में सड़क नहीं है इसलिए मशीनें पहुंचाने के लिए पहले सड़क का निर्माण आवश्यक है।
इस रिपोर्ट से समझा जा सकता है कि पिछले पांच सालों से मैसासा के ग्रामीण इस मलबे के साथ किन हालातों में रह रहे होंगे। अब पांच साल बाद सड़क मंजूर हुई तो सड़क बनाने के लिए धन नहीं है। इस बीच मैसासा गांव के बुरे हालातों की वजह से कई परिवार पलायन कर चुके हैं। सरकार पलायन आयोग बना रही है, पलायन रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने का दावा किया जा रहा है। जब ऐसे हालातों के प्रति सरकार का इतना लापरवाही भरा रवैया है तो ऐसे ही पलायन रोका जाएगा?
गौरतलब है कि लोक निर्माण विभाग ने 22 मार्च 2018 को मैसासा गांव के लिए 4 किमी सड़क को मंजूरी दी है। इसकी कुल लागत 297.26 लाख रुपये आंकी गई है। अभी तक इस सड़क निर्माण की तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ाया गया है। जब इस बारे में जानकारी चाही गई तो सड़क निर्माण न हो पाने की वजह धनाभाव बताया गया है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए केंद्र सरकार ने हजारों करोड़ रुपये की धनराशि जारी की थी, लेकिन आपदा प्रभावित मसासा गांव के लिए राज्य सरकार के पास तीन करोड़ रुपये का बजट नहीं है।