निकाय चुनाव में पिछड़े नेताओं की निगाह अब दायित्वों पर लगी, लंबे समय से हो रहा इंतजार

बाल संरक्षण आयोग, अल्प संख्यक आयोग, वन विकास निगम, महिला आयोग, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति समेत कई अन्य सरकारी संस्थाओं समेत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों के पद खाली हैं।

निकाय चुनाव में जो नेता सरकार और संगठन के आश्वासन पर टिकट की जिद छोड़कर चुनाव मैदान से हट गए थे, उन्हें अब दायित्वों का पिटारा खुलने का इंतजार है। राज्य के तकरीबन सभी निकायों में एक या दो ऐसे दावेदार हैं। इस लिहाज से इनकी अच्छी-खासी संख्या है। लेकिन सरकार में दायित्व सीमित हैं, अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर लगी हैं।

प्रदेश में सरकारी दायित्व बांटे जाने का लंबे समय से इंतजार हो रहा है। बाल संरक्षण आयोग, अल्प संख्यक आयोग, वन विकास निगम, महिला आयोग, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति समेत कई अन्य सरकारी संस्थाओं समेत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों के पद खाली हैं।

माना जा रहा है कि निकाय चुनाव, दिल्ली विधानसभा और उसके बाद राष्ट्रीय खेलों की व्यस्तता के कारण दायित्वों के बंटवारे पर फैसला नहीं हो पाया। हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और महामंत्री संगठन अजय कुमार के स्तर पर कम से कम दायित्वों को लेकर मुख्यमंत्री से निकाय चुनाव से पहले ही चर्चा हो चुकी है। लेकिन निकाय चुनाव में कुछ और कार्यकर्ताओं को भरोसा देने के बाद दायित्वों की सूची में कुछ और बदलाव की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

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