मदरसे की मान्यता और बच्चों से संबंधित सभी दस्तावेज तलब, आयोग के एक्शन पर सामने आया ये रिएक्शन

बाल आयोग के एक्शन पर धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाने का रिएक्शन हुआ। मदरसा प्रबंधक ने कहा, कि आयोग की टीम जूते पहनकर मदरसे में दाखिल हुई।

चार सौ गज के मदरसे में 250 बच्चों को रखने के मामले में उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान हुआ। मदरसा संचालक को नोटिस जारी कर मदरसे की मान्यता, बच्चों के नाम, पते, संख्या, इमारत में अग्निशमन इंतजाम, छात्रावास में रखे गए बच्चों के माता-पिता के सहमतिपत्र, जमीन और इमारत निर्माण आदि से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं।

आयोग की शुरुआती जांच के अनुसार, मदरसा बिना किसी मान्यता के मिला, जिसमें बच्चों को दमघोंटू और दूषित माहौल में रखा जा रहा था, जिससे बच्चे बीमार पड़ रहे। उधर, मदरसा प्रबंधक मुफ्ती रईस अहमद कासमी ने आयोग अध्यक्ष के नाम पत्र भेजकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है।

मस्जिद की बेअदबी हुई
कासमी का कहना है कि 29 जुलाई की शाम तीन बजे आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना टीम के साथ मदरसे में निरीक्षण के लिए पहुंची थीं। मस्जिद में जूते पहनकर दाखिल हुए, जिससे मस्जिद की बेअदबी हुई। इससे मुसलमानों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंची है। उधर, आयोग अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने प्रबंधक की ओर से पत्र मिलने की पुष्टि की है। कहा, हैरानी की बात है कि जिस मदरसे के बच्चे बीमार होकर अस्पताल पहुंचे, उसका निरीक्षण करने पर दमघोंटू और दूषित माहौल में बड़ी संख्या में बच्चे मिले। एक बुखार से तपता बच्चा जमीन पर लेटा मिला।

कहा, मदरसे की मान्यता के बारे में न मदरसा बोर्ड से कोई जानकारी मिली, न ही अल्पसंख्यक आयोग के पास कोई दस्तावेज मिले। आयोग के निरीक्षण और नोटिस की प्रतिक्रिया में धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने की बात कही जा रही है। कहा, वह खुद और उनकी टीम हर धर्म का आदर करती है, लेकिन मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। आयोग ने नोटिस जारी कर जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने को कहा है।