रिपोर्ट-Manu Dafaali, पिथौरागढ़
कल का दिन ग़जब का रहा, एक बुलावे पर हमारी टीम बडारी गाँव में थी, वहां हो रहे एक अनूठे प्रयोग को देखने के लिए | हम जैसे ही गाँव के अन्दर घुसने को तैयार हुए, एक नन्हा दोस्त जिसका नाम “सचिन” है, हमको रस्ता दिखाने को तैयार खड़ा मिला – हम उसके साथ हो लिए | गाँव के रास्तों पर हर २० से ३० मीटर की दूरी पर कचरा न फैले करके, छोटे छोटे कचरे के डिब्बे दिखे, सचिन आगे आगे चल रहा था और बार बार झुक कर अगर कोई रेपर या प्लास्टिक दिखे, तो उसे डिब्बो में डाल दे, और ये काफी था, इस गाँव के प्रति हमारी उत्सुकता को बढाने के लिए |
कुछ देर में हम मिले इस परिवर्तन के पीछे के नायको से, नरेन्द्र सौन और उनके साथियों से जो पिछले कुछ महीनो से न सिर्फ आने वाली पीढ़ी बल्कि पूरे गाँव को साथ लेकर अपने गावं को हर पहलु में एक आदर्श गाँव बनाने का सपना देख चुके हैं, और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए दिन रात लगे हूए हैं | नरेन्द्र और साथ के लोगों ने बताया कि, वो अपने गाँव को सिक्किम के एक गाँव की तरह प्लास्टिक मुक्त बनाना चाहते हैं | ये दूसरा कारण रहा – हमको वहां रोके रखने के लिए | हमने कुछ बातें की और फिर शुरुवात हुई, गाँव के भ्रमण से, पूरी बानर सेना साथ हो ली, आम तौर पर हम बच्चों को इस तहर की वाक् के दौरान पेड़ पौधों के बारे में बताते हैं, पर आज बारी हमारे सीखने की थी, गाँव के एक-एक पेड़ पौधे के बारे में हमको बताया गया, मजा तो तब आ गया जब हमे काले धतूरे के बारे में विस्तार से बता दिया गया | कहाँ घोंसले हैं, कहाँ सांप, कौन सा और किसका कुत्ता कटता है, कहाँ मंदिर किसका मंदिर सब सब सब बता दिया गया, और हम हो गए अंग्रेजी वाले Overwhelmed… अभिभूत ..
इतनी सारी जानकारियों को डॉक्यूमेंट करना जरूरी था, तो हमने कर डाली गाँव की रिसोर्स मैपिंग, तीन टीमो में काम करते-करते हमने ये काम भी कर डाला |
आने वाली दिनों में हम उम्मीद करते हैं, कि हरेला सोसाइटी और बडारी गावं के इन उत्सुक लोगों (बच्चों, युवको और सभी ग्रामीण) के साथ आगे भी काम करने का अवसर मिलते रहेगा | संभावनाओ की कमी नहीं है, कचरा प्रबंधन और गाँव के समग्र विकास हेतु कार्य करने की योजना बनायी जा है | जल्द ही आगे के अपडेट देते रहेंगे | आप सभी जुड़े रहे, सुजाव साझा करें, जिससे हम इनके सपनो को (जिनको कि अब हम अपना मान चुके हैं ), एक मूर्तरूप दे सकें |
टीम हरेला