उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव की तिथियां अभी घोषित नहीं हुई हैं, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि दिसंबर के अंत तक चुनाव अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। इस बीच, राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के व्यय सीमा तय कर दी है और पहली बार व्यय पर्यवेक्षकों की तैनाती करने का निर्णय लिया है। चुनाव के दौरान पैसे और शराब बांटने की गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए सभी जिलों में व्यय नियंत्रण तंत्र विकसित किया जाएगा।

विधानसभा चुनाव के दौरान जैसे व्यय पर्यवेक्षकों की तैनाती और खर्च की निगरानी की गई थी, उसी तरह नगर निकाय चुनाव में भी यह व्यवस्था लागू की जाएगी। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी पहली बार व्यय पर्यवेक्षकों की तैनाती की जाएगी।

राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल ने बताया कि नगर निकाय चुनावों में प्रत्याशियों के खर्च की सीमा बढ़ाई गई है, जो पिछले छह वर्षों में पहली बार हुआ है। यह कदम चुनावों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

राज्य निर्वाचन आयोग के तहत, जिलों में व्यय नियंत्रण तंत्र बनाया जाएगा, जिसमें प्रशासन, आबकारी और पुलिस विभाग के लोग शामिल होंगे। यह तंत्र प्रत्याशियों के खर्च की निगरानी करेगा और छापेमारी के जरिए अवैध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेगा।

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