चीन सीमा क्षेत्र से जुडी मलारी-नीति सडक के सुधारीकरण की उम्मीद जग गई है। सीमा सडक संगठन (बीआरओ) को केंद्र सरकार की ओर से 16 किमी मलारी-नीति सडक के डामरीकरण के लिये 4 करोड की धनराशि स्वीकृत कर दी गई है। सडक के डामरीकरण होने से जहां बाडाहोती सीमा क्षेत्र में भारतीय सेना की आवाजाही सुगम होगी। वहीं घाटी के आधा दर्जन गांवों के ग्रामीणों के साथ ही नीति घाटी के बाबा बर्फानी (टिम्मरसैंण) आने वाले तीर्थयात्रियों को भी इसका लाभ मिल सकेगा।
बता दें कि भारत-चीन सीमा के बाडाहोती सीमा क्षेत्र को जोडने वाली 16 किमी मलारी-नीति सडक बीते एक दशक से खस्ताहाल पडी हुई थी। जिससे यहां सेना के साथ ही नीति घाटी के आधा दर्जन गांवों के ग्रामीणों को आवाजाही में खासी दिक्कतों का सामाना करना पड रहा था। ग्रामीणों की ओर से बार-बार सरकार से सडक के सुधारीकरण की मांग की जा रही थी। लेकिन वर्तमान तक सडक की स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऐसे में अब केंद्र सरकार की ओर से बीआरओ को नीति-मलारी सडक के डामरीकरण के लिये 4 करोड की धनराशि स्वीकृत की गई है। जिससे अब घाटी को यातयात से जोडने वाली इस एकमात्र सडक के दिन बहुरने की आस जग गई है। सूचना मिलने के बाद घाटी के नीति, गमसाली, बाम्पा, फरकिया, गुरगुटी और महरगांव के ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। स्थानीय निवासी धर्मेंद्र पाल, राजेंद्र सिंह, धीरेंद्र गरोडिया और लक्ष्मण बुटोला कहा कहना है कि सडक सुधारीकरण होने से जहां सीमा क्षेत्र में सेना की आवाजाही सुगम होगी, वहीं ग्रामीणों और पर्यटकों के लिये भी सडक पर आवाजाही आसन हो जाएगी।
एएस राठौर, वीएसएम, चीफ इंजीनियर, सीमा सडक संगठन, ऋषिकेश ने बताया कि
भारत-चीन सीमा क्षेत्र की नीति घाटी को जोडने वाली मलारी-नीति सडक के डामरीकरण के लिये सीमा सडक संगठन को केंद्र सरकार की ओर से 4 करोड की धनराशि स्वीकृत हुई है। इस धनराशि से सडक के 16 किमी हिस्से का डामरीकरण किया जाएगा। जिससे यहां सीमा क्षेत्र के साथ ही घाटी के गांवों की पहुंच आसान और सुगम होगी।

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