रुद्रप्रयाग और टिहरी में भू-धंसाव और भूस्खलन से खतरा, दहशत में 91 परिवारों ने घर छोड़े

किणझाणी गांव के निचले क्षेत्र में खेतों में दरारें पड़ गई है, जिससे कृषि भूमि भी तहस-नहस हो गई है। वहीं, घनसाली के भिलंगना ब्लाक के आपद प्रभावित घुत्तू क्षेत्र में मैडू ग्राम पंचायत के कनियाज और भाटगांव नामेतोक में जमीन धंसने से कई मकानों में दरारें पड़ गई हैं।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और टिहरी में भू-धंसाव और भूस्खलन से खतरा बढ़ गया है। रुद्रप्रयाग में भू-धंसाव और भूस्खलन प्रभावित क्यूंजा घाटी के किणझाणी गंव के 60 परिवारों और टिहरी के भिलंगना ब्लाक के 31 परिवारों ने घर छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर शरण ले ली है।

किणझाणी गांव के निचले क्षेत्र में खेतों में दरारें पड़ गई है, जिससे कृषि भूमि भी तहस-नहस हो गई है। यहां के 14 आपदा प्रभावित परिवार स्कूलों में रह रहे हैं, जबकि 44 परिवार अपने नाते रिश्तेदारों के घर चले गए हैं।

उधर, घनसाली के भिलंगना ब्लाक के आपद प्रभावित घुत्तू क्षेत्र में मैडू ग्राम पंचायत के कनियाज और भाटगांव नामेतोक में जमीन धंसने से कई मकानों में दरारें पड़ गई हैं। यहां के 31 परिवारों ने घर खाली कर गांव के प्रार्थमिक स्कूल में शरण ले ली है। जबकि मेंडू गांव के नीचे भिलंगना नदी से भूकटाव होने से खतरा बढ़ रहा है। प्रभावितों ने विस्थापन करने और नदी का कटाव रोकने के उपाय की मांग की है।

मेंडू गांव के कनियाज और भाटगांव मे जिनके घरो में दरारें पड़ी है, उन्हें सुरक्षित जगह पर जाने को कहा गया है। जो परिवार किराए पर जाना चाहता है, वह जा सकते हैं। प्रशासन की ओर से उन्हें भुगतान किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर उन्हें खाद्यान्न भी दिया जाएगा। भूगर्भीय टीम भी क्षेत्र का सर्वे कर रही है।
– अपूर्वा सिंह, एसडीएम घनसाली

जो परिवार स्कूलों में रह रहे हैं, उन्हें खाद्यान्न किट उपलब्ध कराए गए हैं। गांव के कुछ घरों में दरारें आई हैं। गत वर्ष फरवरी में भू-वैज्ञानिकों ने गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण किया था। अभी इसका अध्ययन किया जा रहा है। यदि भू-धंसाव, भूस्खलन की स्थिति नहीं सुधरी तो गांव का पुनर्वास किया जाएगा।
– श्याम सिंह राणा, एडीएम, रुद्रप्रयाग