नगर निगम के स्वास्थ्य अनुभाग में मनमानी अपने चरम पर है। स्थिति ये है कि यहां नियमित व आउटसोर्सिंग स्टाफ के बीच जमकर भेदभाव करते हुए इन कार्मिकों का जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है।

हाल ये हैं कि नगर निगम के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को स्वास्थ्य अनुभाग में नियमित रूप से सरकारी अवकाशों पर कार्य पर बुलाया जा रहा है। इस बार तो स्वास्थ्य अनुभाग के बाबू ने सारी हदों को पार करते हुए आउटसोर्सिंग कर्मियों को सीएम धामी की प्राथमिकता में शामिल रहे हरेला पर्व पर भी इन कार्मिकों को मौखिक रूप से काम पर बुलवाया है।

ये हाल तब है जब कि इन कार्मिकों को मामूली वेतन दिया जा रहा है। इसमें भी सरकार की ओर से समय समय पर जारी शाशनदेशों का पालन नहीं किया जा रहा। आउटसोर्सिंग में ही तमाम कार्मिकों का एक समान वेतन भी नहीं है। कोई 30 हजार तो कोई 15 हजार में नौकरी कर रहा है। ये हालात तब हैं जबकि अभी हाल में नगर निगम में स्वच्छता समितियों के माध्यम से घोटाला सामने आ चुका है।

इस पूरे मामले में नगर निगम प्रशासन मूक दर्शक बना बैठा है। ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य अनुभाग के आलाधिकारी ने भी अनुभाग के पटल बाबू से साठगांठ की हुई है। यहां पर जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र में आये दिन तमाम तरह की शिकायत प्राप्त होती हैं जिस पर कई बार सूचना आयोग से अनुभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई जा चुकी है।

नगर निगम में इतनी बुरी स्थिति है कि कार्मिक उत्पीड़न के चलते आत्महत्या तक को मजबूर हैं। कुछ समय पूर्व एक अफसर की मनमानी से तनाव में आये एक कर्मचारी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। तब कर्मचारी संगठनों ने भी इसे लेकर हंगामा किया था। अब फिर वही हालात बनने लगे हैं।