उत्तराखंड हाईकोर्ट नैनीताल में फर्जी दस्तावेज से शिक्षक बनने के मामले में सुनवाई पर राज्य सरकार ने बताया कि फर्जी पाए गए 69 में से 57 शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया है।नैनीताल: हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि प्रदेश में करीब साढ़े तीन हजार शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी प्राप्त कर चुके हैं।
सरकार ने इस पर कहा कि राज्य के 33 हजार शिक्षकों के दस्तावेजों की जाँच की गई है, जिसमें से अधिकांश सत्यापित हो चुके हैं। हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से 2 महीने के भीतर पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्राइमरी और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाने वाले करीब साढ़े तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि दो महीने के भीतर सभी शिक्षकों के दस्तावेजों का निरीक्षण करके रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।कोर्ट ने मांगी शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की रिपोर्ट
मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि अभी तक प्रदेश के 75 प्रतिशत शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों का निरीक्षण किया जा चुका है और इनमें से कुछ लोगों के शैक्षणिक दस्तावेज अवैध पाए गए हैं जिनकी याचिकाएं हाई कोर्ट में लंबित हैं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश देकर कहा है कि दो माह के भीतर सभी शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों का मूल्यांकन कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे और इस तरह के कितने केस कोर्ट में अभी दायर हैं उनकी भी लिस्ट बनाकर कोर्ट को सोंपें। साथ ही यह भी बतायें कि आपने अभी तक शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच कर ली है
हजारों शिक्षकों के दस्तावेज हो चुके चेक
राज्य सरकार की तरफ से सुनवाई में कहा गया कि उन्होंने अभी तक 33 हजार शिक्षकों में से बड़ी संख्या में शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच पूरी कर ली है और बाकी शेष शिक्षकों की जांच की प्रक्रिया अभी जारी है। इसपर कोर्ट ने कहा कि यह मामला अति गम्भीर है, इसलिए जो जांच विचाराधीन है उन्हें अतिशीघ्र पूरा किया जाए। सरकार ने कोर्ट में यह तथ्य भी रखा कि 33 हजार शिक्षकों में से 69 शिक्षकों के फर्जी दस्तावेज पाए गए हैं जिनमें से 57 शिक्षकों को सरकार ने निलंबित कर दिया है।
इनके द्वारा की गई जनहित याचिका दायर
फर्जी दस्तावेज के आधार पर नियुक्ति पाने की जनहित याचिका स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी द्वारा दायर की गई थी। इन्होने उसमें कहा था कि राज्य के प्राइमरी और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किए गए हैं। फिर इनमें कुछ अध्यापकों की एसआईटी जांच की गई जिसमें तीन अध्यापक फर्जी पाए गए लेकिन विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इनको क्लीन चिट मिल गई और ये और ये अभी भी सेवा में कार्यरत हैं। एसआईटी जांच में अभी तक 84 अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी पाए गए हैं उन पर विभागीय कार्रवाई चल रही।