चमोली। इस बार बदरीनाथ धाम में पुजारी विशेष गणवेश में नजर आएगा। बिना वेशभूषा के पूजा-अर्चना करने वाले पुजारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय बदरीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत की बैठक में लिया गया। इस मौके पर 27 अप्रैल से शुरू होने वाले तेल कलश यात्रा के द्वितीय चरण की तैयारियों को भी अंतिम रूप दिया गया।
बैठक में धार्मिक पंचायत के आरसी डिमरी ने कहा कि बदरीनाथ धाम की यात्रा पर देशभर से यात्री आते हैं और इस दौरान धाम में भारी भीड़ रहती है। ऐसे में यात्रियों के लिए वास्तविक पुजारियों की पहचान करना मुश्किल होता है। लिहाजा पुजारियों की पहचान के लिए उनकी पृथक वेशभूषा होना जरूरी है। इससे यात्रियों को मंदिर प्रवेश समेत पूजा-विधान संपन्न कराने में सहूलियत होगी। पुजारियों की गणवेश में पीले रंग का धोती-कुर्ता व भूरे रंग की वास्केट (जवाहरकट) शामिल है।
इस मौके पर 27 अप्रैल से शुरू होने वाली तेल कलश यात्रा के द्वितीय चरण की तैयारियों को भी अंतिम रूप दिया गया। बताया गया कि यात्रा 27 अप्रैल को डिम्मर से टटासू, पाडली, कर्णप्रयाग, लंगासू, नंदप्रयाग, मैठाणा, चमोली, पीपलकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुंचेगी। 28 अप्रैल को यात्रा पूजा-अर्चना के बाद शंकराचार्य की गद्दी के साथ बदरीनाथ धाम के रावल की अगुआई में पांडुकेश्वर और 29 अप्रैल को पांडुकेश्वर से उद्धवजी की डोली के साथ बदरीशपुरी पहुंचेगी। 30 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद डोली गर्भगृह में स्थापित होगी।

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