विश्व प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में मनमर्जी की जिप्सी अब नहीं चलेगी। हाई कोर्ट ने जिप्सी पंजीकरण प्रक्रिया-2023 को पारदर्शी बनाने के लिए सभी योग्य आवेदकों को अवसर देने का आदेश दिया है। साथ ही निदेशक सीटीआर के शपथपत्र में स्वीकार की गई चूक के आधार पर जिप्सी पंजीकरण में चल रहे एकाधिकार को समाप्त करने का आदेश भी दिया है। पंजीकरण के लिए दो प्रमुख समाचार पत्र में विज्ञापन जारी करने के आदेश भी कार्बेट प्रशासन को दिए गए हैं। कार्बेट नेशनल पार्क में सफारी के लिए 366 जिप्सियों का पंजीकरण कराया जाता है।

कोर्ट के आदेश के बाद अब सीटीआर में जिप्सी पंजीकरण की प्रक्रिया नए सिरे से शुरू होगी। सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ में इकरा परवीन, शिल्पेंद्र, पूरन सिंह, मोहन चंद्र और अन्य की याचिका पर सुनवाई की गई। याचिकाओं में कहा गया है कि जिप्सी पंजीकरण 2023-24 में उन्हें प्रतिभाग नहीं करने दिया जा रहा, जबकि उनके पास परमिट और सभी वैध दस्तावेज हैं। सिर्फ उन्हीं को प्रतिभाग करने दिया जा रहा है, जो पार्क के जिप्सी व्यवसाय में पूर्व से पंजीकृत हैं। यही नहीं हर साल पंजीकरण के नाम पर पुराने व्यवसायियों का ही नवीनीकरण किया जा रहा है।

कोर्ट के पूर्व के आदेश का उल्लंघन: याचिकाकर्ता 
याचिकाकर्ता के अनुसार कार्बेट पार्क प्रशासन के मनमाने रैवये से कोर्ट के पूर्व के उस आदेश का भी उल्लंघन हो रहा है, जिनमें पंजीकरण का विज्ञापन दो अखबारों में छपवाने के लिए कहा गया था। इसमें ना तो विज्ञापन छपवाया गया और ना ही वेबसाइट पर विज्ञापन दिया गया। मात्र कुछ एजेंटों के व्हाट्सएप पर पंजीकरण का गूगल फॉर्म जारी किया गया। उसमें भी यह शर्त थी कि आवेदक पूर्व से पंजीकृत होना चाहिए।