खुल गये भगवान फ्यूलानारायण नारायण के कपाट
भगवान फ्यूला नारायण को शुद्ध दूध व मक्खन का लगाया गया

जोशीमठ

समुद्र तल से लगभग 10,000  फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित भगवान फ्यूला नारायण का कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धालुओ के लिए खोल दिये गये है कपाट खुलने के दौरान सैकडो श्रद्धालु भगवान फ्यूलानारायण के मंदिर मे मौजूद रहे

इस पौराणिक मंदिर में ठाकुर जाति का पुजारी होता है।यहाँ उगने वाला विशेष जाती का फूल फ्यूला की वजह से इससे फ्यूला नारायण कहा जाता है।मंदिर दक्षिण शैली में बना पौराणिक मंदिर है।
इस मंदिर में जहाँ ठाकुर जाति का पुजारी होता है।वही भगवान फ्यूला नारायण के श्रंगार के लिये महिला गोदम्बरी देवी स्नान कर फ्यूला के फूल का भगवान  नारायण का फूल श्रंगार करती है
भगवान नारायण के लिये भोग के लिये दूध व मक्ख़न के लिए गाय खुद फ्यूला नारायण गाय जाती है।
पुजारी ,फ्यूला फूल तोड़ने वाली व श्रंगार महिला व गाय कपाट बंद होने तक प्यूला नारायण मंदिर में रहेंगे।
हर दिन के तीनों पहर भगवान नारायण को भोग लगता है।जिस दिन डुमक गांव भूम्याल  में पुजारी को जाते समय चिमटा व घंटी दी जाती है ।
फ्यूला नारायण मंदिर इकलौता मंदिर है।जहाँ पर महिला भगवान नारायण को फूल लाकर भगवान नारायण को फूल श्रंगार करती है।और यह कपाट खुलने से लेकर कपाट बंद होने तक ये परंपरा जारी रहती है।और ये परंपरा सदियों से चली आ रही है।पुजारी रघुबीर सिंह ,व लक्ष्मण सिंह नेगी  का कहना है


भगवान फ्यूला नारायण मंदिर के कपाट खोल दिये गये है कपाट खुलने को  लेकर तैयारिया पूर्व से ही चल रही थी इस दौरान
भर्की पंचनाम देवता मंदिर से पुजारी सहित सैकड़ो  श्रद्धालु कपाट खुलने के दिन शाक्षी बने

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