टाइगर पाखरो मामला…कार्रवाई पर सवाल उठे तो सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार मामले में राज्य विजिलेंस जांच कर रही है, जिसमें पूर्व डीएफओ सहित दो लोगों को जेल भी भेजा जा चुका है। इसमें एक चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में सरकार सीबीआई जांच से बचना चाहेगीकॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) और कालागढ़ वन प्रभाग में करीब छह हजार पेड़ों के अवैध कटान व अवैध निर्माण से जुड़े मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार को सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। लेकिन इस मामले में सरकार सीबीआई जांच के मूड में नहीं दिख रही है। हालांकि मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में है।वन मंत्री सुबोध उनियाल ने स्पष्ट किया है, सरकार इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठे तो हम सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करेंगे। इससे पूर्व हाईकोर्ट के फैसले का परीक्षण किया जाएगा।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि इस मामले में राज्य विजिलेंस जांच कर रही है, जिसमें पूर्व डीएफओ सहित दो लोगों को जेल भी भेजा जा चुका है। इसमें एक चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में सरकार सीबीआई जांच से बचना चाहेगी। अगर सीबीआई जांच हुई तो पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के साथ शासन सहित वन विभाग के कई बड़े अधिकारी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
..तो बढ़ेंगी पूर्व वन मंत्री की मुश्किलें

इस मामले की अगर सीबीआई जांच हुई तो पूर्व वन मंत्री डाॅ. हरक सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। तब वह भाजपा सरकार में वन मंत्री के पद थे, लेकिन अब कांग्रेस पार्टी में हैं। कुछ दिन पहले विजिलेंस उनके ठिकानों पर छापे मार चुकी है।

सीईसी ने भी तत्कालीन वन मंत्री को जिम्मेदार माना था

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (सीईसी) अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंप चुकी है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पाखरो में अवैध कटान व निर्माण के लिए तत्कालीन वन मंत्री डाॅ. हरक सिंह व कुछ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए थे। था मामला

वर्ष 2019-20 में काॅर्बेट के पाखरो में 106 हेक्टेयर में टाइगर सफारी का निर्माण शुरू हुआ। इसी दौरान वहां पेड़ों का कटान और निर्माण किया गया। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और जांच शुरू हुई