ऋषिकेश

आईडीपीएल में घरों को खाली कराने गई प्रशासनिक टीम को स्थानीय लोगों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। इस दौरान टीम ओर लोगों के बीच खासी नोकझोंक हुई। प्रभावितों ने प्रशासनिक टीम से लिखित आदेश दिखाने की मांग की। जिसके बाद टीम को फोर्स के साथ बैरंग लौटना पड़ा।

बता दें कि आईपीएल टाउनशिप में पहले चरण में 227 आवास खाली कराए जाने हैं। जिनमें से 17 घरों पर प्रशासन कुछ दिन पहले ही ताले लगा चुका है। शनिवार को शेष आवासों को खाली कराने को लेकर एसडीएम सौरभ असवाल और तहसीलदार डॉ. अमृता शर्मा के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम पुलिस फोर्स के साथ आईडीपीएल पहुंची। जैसे ही मकान खाली करने की कार्रवाई शुरू हुई, मौके पर जुटे लोगों ने विरोध शुरू कर दिया।

विरोध के दौरान एसडीएम, तहसीलदार और स्थानीय लोगों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। लोगों ने टीम से आवास खाली कराने संबंधी आदेश की लिखित कॉपी मांगी। वहीं मौके पर विरोध में नारेबाजी भी चलती रही। नतीजा, प्रशासनिक टीम को भारी जनविरोध को देखते हुए बिना कार्रवाई के ही बैरंग लौटना पड़ा। जबकि आवासीय संघर्ष समिति के लोग लिखित आदेश दिखाने की मांग पर अड़े रहे।

उधर, बताया जा रहा है कि आईडीपीएल में आवास कराने की कार्रवाई को सोमवार से फिर शुरू किया जा सकता है। इसके लिए पुलिस फोर्स की तादाद भी बढ़ाई जा सकती है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि आईडीपीएल में रह रहे लोगों की स्थिति बेहद दयनीय है। वह अब आर्थिक तौर पर इतने सक्षम नहीं कि कहीं मकान बना सकें। उनके पास आजीविका के साधन भी नहीं है। कई परिवार केवल पेंशन पर ही जी रहे हैं। लगभग 100 कर्मचारी ऐसे हैं जिनका 02 से 07 लाख तक का बकाया है। बताया कि हमें आईडीपीएल मैनेजमेंट ने आवास अलॉटमेंट किए थे, लिहाजा मैनेजमेंट को ही खाली कराने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें 50 साल से ज्यादा इन आवासों में रहते हुए हो चुके हैं। मैनेजमेंट को वह क्वार्टर्स की लागत से कई गुना अधिक पैसा कर्मचारी किराए के रूप में दे चुके हैं। मांग की कि हमारे लिए स्थायी निवास की व्यवस्था की जाए।

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