देहरादून। acmo डॉ दिनेश चौहान ने अवगत कराया है कि ऐसा संज्ञान में आया है कि जनपद के कुछ होटल/लॉज/मेडिकल स्टोरों/मॉल/योगा केन्द्र आदि में ऐसे चिकित्सकों के द्वारा रोगियों का उपचार व परामर्श दिया जा रहा है, जिनका पंजीकरण कार्यालय मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून में नहीं है तथा सम्बंधित द्वारा बिना अनुमति के अपंजीकृत स्थान में स्वास्थ्य परीक्षण/उपचार/शिविर आयोजित किये जा रहे हैं जो कि नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन) अधिनियम 2010 के नियमों का उल्लंघन है। ऐसे होटल/लॉज/मेडिकल स्टोरों/मॉल/योगा केन्द्र, के प्रबंधकों अगर बिना अनुमति अपना परिसर उपचार व परीक्षण/उपचार/शिविर हेतु दिया जाता है तो सम्बंधित के विरुद्ध विधिक कार्यवाही अमल में लायी जायेगी।
उधर, Cmo dr संजय जैन की ओर से सूचित किया गया है कि उत्तराखण्ड राज्य में मान्यता प्राप्त समस्त चिकित्सा प्रणाली डिग्री धारियों के नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन) अधिनियम 2010 (Clinical Establishment Registration & Regulation Act 2010) व उत्तराखण्ड शासन की अधिसूचना 1889/XXVIII-2/04 (81)2007 दिनांक 31 अक्टूबर, 2015 के अन्तर्गत जनपद देहरादून में पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
अधिनियम की धारा 41 की उपधारा (1),(2), (3) और धारा 42 की उपधारा (1), (2), (3) के उपबन्ध के अनुसार, जो कोई नैदानिक स्थापन बिना रजिस्ट्रीकरण के चल रहा हो अथवा अरजिस्ट्रीकरण केन्द्र में सेवा दे रहा हो या जानबूझकर निर्देशों का पालन नहीं कर रहा हो, या प्राधिकारी को किसी कृत्य के निर्वहन में बाधा पहुंचा रहा हो या इस प्रकार की सूचना को छुपा रहा हो या असत्य सूचना प्रदान कर रहा हो तो, वह आर्थिक दण्ड का भागीदार होगा। जो कोई रजिस्ट्रीकरण के बिना नैदानिक स्थापन चलाएगा, दोषसिद्धि पर प्रथम अपराध के लिए पचास हजार रुपये दूसरे अपराध के लिए दो लाख रुपये और तीसरे अपराध के लिए पांच लाख रुपये तक शास्ति धनराशि दण्डनीय होना व जो कोई जानबूझकर ऐसे किसी नैदानिक स्थापन की सेवा करेगा जो अधिनियम के अधीन सम्यक रूप से पंजीकृत नहीं है, ऐसी धनराशि की शास्ति सो जो पच्चीस हजार रुपये की हो सकेगी दण्डनीय होगा। साथ ही जिन नैदानिक स्थापन द्वारा चिकित्सालय, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी लैब, डायग्नोस्टिक सेन्टर, इमेजिंग सेन्टर, क्लीनिक, का पंजीकरण करवाया गया है और नवीनीकरण नहीं करवाया गया है वह भी तत्काल नवीनीकरण के लिए आवेदन करें। अगर नवीनीकरण समय-सीमा के भीतर नहीं किया जाता है तो प्राधिकारी नियम नवीनीकरण शुल्क की दोगुनी धनराशि एवं ₹ 100/- प्रतिदिन शास्ति की दर से विलम्ब शुल्क के भुगतान के बाद अधिनियम की धारा 22 के अनुसार आवेदन स्वीकार करेगा।