हरिद्वार। देहरादून-हरिद्वार रेल लाइन पर ट्रैन चालक की लापरवाही से हरिद्वार रेंज के खडखड़ी बीट में एक हथनी की टक्कर लगने से मौत हो गईं। राजाजी की ओर से चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा रहा है जबकि स्पीड आदि को लेकर रेलवे और राजाजी के अधिकारियों की संयुक्त जांच होगी। निर्धारित स्पीड से अधिक ट्रैन की गति होने पर रेलवे चालक के खिलाफ जांच और निलंबन की कार्रवाई का आश्वासन मुरादाबाद डिवीजन के डीआरएम ने दिया है।
घटना बीती रात 12 बजकर 05 मिनट की है। देहरादून से काठगोदाम जाने वाली ट्रेन आ रही थी। उस वक्त रेलवे ट्रैक और आसपास 17 हाथी थे। राजाजी के रोशनलाल, किशन लाल सहित अन्य स्टाफ हाथियों को जंगल की ओर भागने की कोशिश में लगे थे। करीब सभी हाथी ट्रैक से दूर हो गए थे। एक-दो हाथी आसपास थे। इतने में देहरादून-काठगोदाम एक्सप्रेस आई। राजाजी की टीम ने हाथियों से एक किलोमीटर दूर ट्रैन को रोकने को टोर्च दिखाई और भी जतन किए लेकिन ट्रैन चालक बलवीर ने इसकी अनदेखी की और लापरवाही बरती। ट्रैन रोकने को इमेरजेंसी ब्रेक लगाई लेकिन तबतक देर हो चुकी थी भाग कर जान बचाने की कोशिश कर रहे हथनी की पीठ और पैर ट्रैन से टकराई और हथनी गिर पड़ी और आश्चर्यजनक यह रहा कि राजाजी की टीम के ट्रेन के ड्राइवर तक पहुँचने से पहले ही ड्राइवर ट्रैन लेकर निकल गया। रात करीब तीन बजे राजाजी के डायरेक्टर सनातन पशु चिकित्सक डॉ अदिति को लेकर मौके पर पहुंचे। घायल हथनी को बचाने की कोशिश हुई लेकिन उसने छह बजे सुबह दम तोड़ दिया। मामले में राजाजी की ओर से चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। रेलवे मुरादाबाद के अधिकारी भी राजाजी की टीम के साथ जांच करने पहुंच रहे हैं।
एक बार फिर साबित हुआ कि वन महकमे और रेलवे जे ऑफिसरों के बीच बेहतर तालमेल नहीं होने के कारण हाथियों की ट्रैक पर मौत हो रही है। अब तक उस ट्रैक पर 36 हाथी अपनी जान गवा चुके हैं। किलर ट्रैक को लेकर कई बैठक वन महकमे और रेलवे की हो चुकी है लेकिन हाथियों के मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही ये बात सामने आई थी कि रेलवे ने हरिद्वार-मोतीचूर के बीच पडने वाले जंगल के ट्रैक पर गार्बेज फेंक देते है। खास कर कैटरिंग उपलब्ध करने वाले ट्रेनों में, इन्हीं खाद्य पदार्थो जे लालच में हाथी सहित अन्य वन्य जीव ट्रैक की ओर रुख करते हैं। हाल ही में राजाजी टाइगर रिजर्व के हरिद्वार से कांसरो रेंज तक का रेलवे ट्रैक वन्य जीवों के लिए किलर ट्रैक पर राजाजी के कांसरो रेंज के रेंजर डीपी उनियाल ने मंडल रेल प्रबंधक को नोटिस भेज कर रेलवे ट्रैक के दोनों ओर सफाई करवाने और कैटरिंग देखने वाले को सख्त हिदायत देने का नोटिस भी दिया था। यह भी उल्लेख किया है कि शताब्दी, जन शताब्दी सहित हरिद्वार से देहरादून जाने और आने वाली रेलगाडियों के कैटरिंग वाले सुसवा नदी से मोतीचूर मिलान तक खाद्य पदार्थ फेंकते है, जिसे खाने वन्य जीव आते है। मामले में नोटिस थी दिया गया था लेकिन रेलवे ने लगता है इस नोटिस की परवाह नहीं की।
रेलवे की यूनियन काफी मजबूत है। अब जब वन महकमे की ओर से ट्रेन के चालक और को-चालक पर वन्य जीवों की मौत को लेकर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने की बात आती है तो ये यूनियन रेल के चालक के पक्ष में खड़ा होकर रेल के संचालन को रोकने की धमकी देते हैं। जिसकी वजह से पूर्व के केस में भी चालकों की गिरफ्तारी नहीं हुई।
17-18 हाथी रेलवे ट्रैक पर थे। राजाजी की टीम ट्रैक से हाथियों को हटा रही थी। इसी बीच देहरादून से काठगोदाम जाने वाली ट्रेन आ गई। जिसे राजाजी की टीम ने टॉर्च आदि दिखा कर एक किलोमीटर पहले ट्रैन को रोकने का प्रयास किया। लेकिन चालक ने अनदेखी की और लापरवाही बरती। चालक ने हाथियों के बेहद करीब लाकर इमेरजेंसी ब्रेक मारी जिसमें रेलवे का करीब छह कैपलिंग भी टूट गई। मामले में चालक के खिलाफ वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
सनातन सोनकर, निदेशक, राजाजी टाइगर रिजर्व, देहरादून
ट्रैन कितने स्पीड में थी घटनास्थल पर यह जानने के लिए ट्रेन के लिए लगे स्पीडो मीटर को सील कर जांच की जाएगी। दो अधिकारियों को देहरादून भेज दिया गया है। निर्धारित मानक से यदि तेज ट्रैन रही होगी तो चालक के खिलाफ कार्रवाई होगी। जॉइंट जांच भी होगी। आज रात से कांसरो रेंज के अलावा मोतीचूर में भी 35 किलोमीटर के कॉशन का आदेश कर दिया है। मंगलवार को भी हाथी के दो बच्चे ट्रैक पर अचानक आ गए थे उन्हें रेल चालक के सुझबूझ से बचा लिया गया। देखने में दो दिन से ये आ रहा है कि हाथियों का झुंड कांसरो से मोतीचूर की ओर आने लगे है इसलिए मोतीचूर सेक्शन को भी 35 के स्पीड कॉशन पर डाला गया है।
एके सिंघल, डीआरएम, मुरादाबाद डिवीजन।