मसूरी।

नगर पालिका के अवैध कार्यो एवं लोकधन की लूट के खिलाफ माननीय हाईकोर्ट नैनीताल में जनहित याचिका लगाने से बौखलाया नगर पालिका प्रशासन अब पत्रकारों को धमकाने भी लगा है । धमकाने की नीयत से वकायदा वकील का नोटिस भेजा गया है । पर इससे पालिका प्रशासन के भ्रष्टाचार की पोल स्वयं ही खुल जाती है भाई अगर कुछ गड़बड़ नहीं किया है तो डर काहे का, सांच को आंच कैसी । बीतने दो कुछ समय । ऐसी भी क्या जल्दी है कि 13 तारीख निपटी भी नहीं थी और उससे पहले आपने नोटिस भेज दिया ।
अपने सम्मानित पाठकों को स्मरण होगा कि  6 जून को हिलीवुड न्यूज़ ने एक समाचार प्रकाशित किया था कि ‘‘ मसूरी पालिका के अवैध कार्यों और भ्रष्टाचार की जांच सी0बी0आई0 से कराने को हाईकोर्ट में जनहित याचिका…’’। बता दूॅ कि सामाजिक कार्यकर्ता और उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी प्रदीप भण्डारी ने मसूरी पालिका के द्वारा किए जा रहे अंधाधुंध अवैध निर्माण और लोकधन के दुरूपयोग तथा अन्य भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक जनहित याचिका मुख्य न्यायाधीश महोदय हाईकोर्ट उत्तराखण्ड नैनीताल के सम्मुख रखी । मा0 हाईकोर्ट से प्राप्त सूचना पत्र के अनुसार मुख्य न्यायाधीश महोदय द्वारा श्री भण्डारी की जनहित याचिका को स्वीकृति प्रदान करते हुए उसे पूर्व में दायर एक अन्य जनहित याचिका संख्या- 112/2019 के साथ सम्बन्ध कर दिया गया है।
यह खबर हिलीवुड न्यूज पोर्टल समेत कुछ अन्य समाचार माध्यमों में भी प्रकाशित हुई। समाचार प्रकाशन से पालिका के मुखिया बौखला गए । और धमकाने की पोजीशन में आ गए । परिणाम स्वरूप अधिवक्ता के माध्यम से 3 पेज का नोटिस भेजा दिया । नोटिस के पीछे का मुख्य मंसूबा यही नज़र आता है कि याचिका लगाने और समाचार छापने वाले लोग डर जांय और पालिका का भ्रष्टाचार उजागर करना बंद कर दें। मगर अब इनका यह नोटिस इन्हीं के लिए पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा साबित हो सकता है । क्योंकि नोटिस भेजने से हमारे लिए तो एक अन्य सबूत मिल गया कि पालिका प्रशासन किस प्रकार भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है और उनके गलत कार्यों के ख़िलाफ़ कोई आवाज न उठाए इसलिए न्याय के मंदिर हाईकोर्ट की शरण लेने पर हमें धमकाने का प्रयास किया जा रहा है।

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