देहरादून। पौड़ी जिला विकास प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी(सहायक अभियंता) द्वारा अपीलकर्ता को विरोधाभासी सूचना देने और आयोग को गुमराह करने की कोशिश पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने 25 हजार का जुर्माना लगाया है। साथ ही प्राधिकरण के सचिव को आयोग ने पदीय दायित्वों का निर्वहन जिम्मेदारी पूर्वक एवं संवेदनशीलता के साथ करने के निर्देश दिए हैं।

पौड़ी निवासी श्री हरीश चंद्र शाह द्वारा आयोग में सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा (18) के अंतर्गत प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी / सहायक अभियंता श्री संदीप रावत एवं सचिव / अपीलीय अधिकारी पर सूचना न दिए जाने एवं दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए शिकायत की गयी। आयोग द्वारा शिकायत का परीक्षण करते हुए पाया कि शिकायतकर्ता को प्राधिकरण द्वारा ना तो समय पर वांछित सूचनाएं उपलब्ध कराई गई और ना ही उनके द्वारा प्राधिकरण को दिए गए पत्रों पर कोई कार्यवाही की गई। इसके विपरीत सूचना मांगे जाने के बाद शिकायतकर्ता के विरुद्ध ही कार्रवाई शुरू कर दी गई। शिकायतकर्ता द्वारा पौड़ी में अपने पड़ोस में हो रहे निर्माण कार्य की जानकारी मांगी गई थी। शिकायतकर्ता का कहना था कि प्राधिकरण की सचिव ने उनकी शिकायत पर कार्यवाई करने अथवा अपील सुनने की बजाय उन्हीं को प्रत्याडित करना शुरू कर दिया।

सुनवाई के दौरान आयोग द्वारा प्राधिकरण की सचिव इला गिरी एवं सहायक अभियंता संदीप रावत का स्पष्टीकरण किया। सुनवाई के दौरान स्पष्ट हुआ कि लोक सूचना अधिकारी द्वारा अपीलार्थी को ससमय सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई बल्कि उनके विरुद्ध नोटिस जारी कर दिए। नोटिस पर सुनवाई की सूचना उन्हें डाक से सुनवाई तिथि बीतने के बाद भेजी गई। सुनवाई में व्यक्तिगत उपस्थित हुई

सचिव इलागिरी भी अपने स्पष्टीकरण में आयोग में संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई।

आयोग में उन्होंने इसके लिए सहायक अभियंता एवं पटल सहायक की लापरवाही बताते हुए उनके विरुद्ध कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। प्राधिकरण की सचिव अनुसार प्राधिकरण में पर्याप्त एवं स्थाई स्टाफ न होने के कारण सूचना अनुरोध पत्र के निस्तारण एवं शिकायतों पर विधिवत कार्रवाई में दिक्कत आ रही है। आयोग द्वारा सचिव एवं सहायक अभियंता को जारी कारण बताओ नोटिस पर सुनवाई का पूरा अवसर दिया गया। दोनों के स्पष्टीकरण से असंतुष्ट होते हुए राज्य सूचना आयुक्त श्री योगेश भट्ट ने सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा (20) के अंतर्गत लोक सूचना अधिकारी पर अधिकतम 25000/- की शास्ति आरोपित करते हुए भविष्य में अपने दायित्व के प्रति सचेत रहने एवं सूचना का अधिकार अधिनियम का अनुपालन किए जाने के निर्देश दिए।

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