नई दिल्ली। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में 28-29 मार्च यानी दो दिन तक देशव्यापी बंद का आह्वान किया है. इस बंद की वजह से बैंक का काम भी प्रभावित हो सकता है क्योंकि अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने हड़ताल को अपना समर्थन देने की घोषणा की है।
आम जनता प्रभावित हो रही है. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने फेसबुक पर लिखा कि बैंकिंग सेक्टर भी इस हड़ताल में शामिल होगा।
सरकार की जन-विरोधी आर्थिक नीतियों और श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और विभिन्न क्षेत्रों की स्वतंत्र श्रमिक यूनियनों ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है. इनकी प्रमुख मांगों में श्रम संहिता को समाप्त करना, किसी भी प्रकार के निजीकरण को रोकना, राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को समाप्त करना, मनरेगा के तहत मजदूरी के लिए आवंटन बढ़ाना और ठेका श्रमिकों को नियमित करना शामिल है. ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने कहा, ‘‘हमने हड़ताल के इस आह्वान का समर्थन करने का फैसला किया है।
सरकार की जन-विरोधी आर्थिक नीतियों और श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और विभिन्न क्षेत्रों की स्वतंत्र श्रमिक यूनियनों ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है. इनकी प्रमुख मांगों में श्रम संहिता को समाप्त करना, किसी भी प्रकार के निजीकरण को रोकना, राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को समाप्त करना, मनरेगा के तहत मजदूरी के लिए आवंटन बढ़ाना और ठेका श्रमिकों को नियमित करना शामिल है. ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने कहा, ‘‘हमने हड़ताल के इस आह्वान का समर्थन करने का फैसला किया है।
कोयला, इस्पात, तेल, टेलिकॉम, पोस्टल, इनकम टैक्स, तांबा, बैंक, बीमा जैसे क्षेत्रों में यूनियनों को भी हड़ताल में शामिल होने की अपील की गई है. इसके साथ ही रोडवेज, परिवहन कर्मियों और बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है।
बिजली मंत्रालय ने आज सभी सरकारी कंपनियों और अन्य एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रहने और चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति और राष्ट्रीय ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित करने की सलाह दी। मंत्रालय की सलाह में कहा गया है कि अस्पतालों, रक्षा और रेलवे जैसी आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों को बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए.
एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि बैंक यूनियन की मांग है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण बंद करे और उन्हें मजबूत करे. इसके अलावा हमारी मांग है कि डूबे कर्ज की वसूली को तेज किया जाए, बैंक जमा पर ब्याज बढ़ावा जाए, सेवा शुल्कों में कमी की जाए और पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।
सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा है कि हड़ताल की वजह से उसकी सेवाओं पर कुछ हद तक सीमित असर पड़ सकता है. एसबीआई ने कहा कि उसने अपनी सभी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रबंध किए हैं।
वहीं इस बंद को लेकर भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि वह इस हड़ताल में शामिल नहीं होगा. संघ ने कहा कि यह आगामी हड़ताल राजनीति से प्रेरित है और इसका एक मात्र उद्देश्य राजनीतिक लाभ लेना है इसलिए संघ इसमें शामिल नहीं होगा।