नैनीताल

हाई कोर्ट ने प्रदेश के सांसदों व विधायको के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों की त्वरित सुनवाई को लेकर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने मामले को वीडियो काॅन्Úेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि प्रदेश में सांसदों व विधायकों के खिलाफ कितने आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, कितने अभी विचाराधीन है। इनकी जानकारी तीन मार्च तक कोर्ट को बताएं। अगली सुनवाई तीन मार्च की तिथि नियत की है। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2021 में सभी राज्यों के उच्च न्यायालयों को निर्देश दिए थे। कहा था कि उनके वहां सांसदों व विधायकों के खिलाफ कितने मुकदमे विचाराधीन हैं, उनकी त्वरित सुनवाई कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें आईपीसी की धारा 321 का गलत उपयोग कर अपने सांसद व विधायकों के मुकदमे वापस ले रही हैं, जैसे मुजफ्फर नगर दंगे के आरोपी साध्वी प्राची, मेरठ के सरधना के विधायक संगीत सोम, विधायक सुरेश राणा का केश उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए है कि राज्य सरकारें बिना उच्च न्यायालय की अनुमति के इनके केश वापस नहीं ले सकती। इनके केशों की शीघ्र निस्तारण हेतु स्पेशल कोर्ट का गठन करें। याचिका में सचिव गृह, सचिव विधि एवं न्याय, सचिव वित्त, सचिव महिला, बाल कल्याण, डीजीपी को पक्षकार बनाया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here