रुद्रप्रयाग- देवस्थानम बोर्ड का गठन त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल में हुआ था। तब से ही लगातार तीर्थ पुरोहित त्रिवेंद्र सिंह रावत का विरोध करते आए हैं। पुरोहितों के इस गुस्से का सामना आज पूर्व सीएम को केदारनाथ जाते वक्त करना पड़ा। त्रिवेंद्र की कुर्सी छीने जाने के पीछे यह भी एक कारण माना जाता है।
देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं होने से केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश है। केदारनाथ पहुंचे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का तीर्थ पुरोहित ने जमकर विरोध किया। त्रिवेंद्र सिंह रावत को संगम पुल से आगे नहीं जाने दिया गया। तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों ने इस दौरान उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
सरकार के आश्वासन के बाद भी देवस्थानम बोर्ड व एक्ट वापस नहीं होने पर तीर्थ पुरोहितों ने सोमवार को गंगोत्री बंद रखने का निर्णय लिया है। श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति से जुड़े तीर्थ पुरोहितों व हक हकूकधारियों ने बैठक कर देवस्थानम बोर्ड व एक्ट के मुद्दे पर चर्चा की।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि 11 सितंबर को सीएम के साथ हुई वार्ता में 30 अक्तूबर तक देवस्थानम बोर्ड भंग कर करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक सरकार ने इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही बोर्ड को वापस नहीं लिया गया, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।