चमोली जनपद दौरे पर आये मुख्य वन संरक्षक एन.टी.ई.पी एवं वन विभाग की ओर से जिला चमोली के नोडल अधिकारी रमेश चंद्र ने पिण्डरघाटी पहुंचकर यहां वनों में हुई आगजनी का जायजा लिया।
नारायणबगड में वन विश्राम गृह में पत्रकारों के इन सवालों पर ….कि वनों की हिस्सेदारी में जनता की सीधे सीधे बराबरी की भागीदारी को सुनिश्चित क्यों नहीं किया जा रहा है । जबाब में उन्होंने कहा कि वनों को बचाने के लिए वन विभाग और जनता का आपसी सयंवयन बहुत जरूरी है इससे वनों में आग लगाने वाले अराजक तत्वों में कमी आ सकती है।कहा कि जब लोग.वनों को अपना समझेंगे तो उसके संरक्षण मे भी वृद्धि होगी।
आपको बताते चलें कि इस फायर सीजन में यहां ग्रामीण जंगलों की आग बुझाते समय बड़ी संख्या में झूलस गये हैं….तो अत्यधिक झूलस जाने से उनकी मृत्यु भी हुई है।इनके लिए मुवावजे के सवाल पर मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि जो व्यक्ति वनों की आग बुझाते समय अपनी जान खो देते हैं उनके परिजनों को चार लाख तक का मुआवजा दिया जाने का प्रावधान है और आंशिक रूप से झुलस गए लोगों के लिए भी नियमानुसार उपचार के लिए सहयोग की व्यवस्था है।
मुख्य वन संरक्षक रमेश चंद्र ने मौके पर ही वन क्षेत्राधिकारियों को निर्देश दिए कि फायर सीजन के प्रारंभ में ही ग्रामीणों, ग्राम प्रधानों,वन सरपंचों,समाजसेवी संस्थाओं और स्कूलों के छात्र छात्राओं से संवाद बनाकर वनाग्नि रोकने के लिए जनजागृति के अभियान चलाए जाए।
इस अवसर पर डीएफओ अलकायदा वन प्रभाग चमोली सर्वेश कुमार,वन क्षेत्राधिकारी बद्रीनाथ वन प्रभाग, जुगल किशोर चौहान और वन क्षेत्राधिकारी अलकनंदा वन प्रभाग आषीश थपलियाल व अन्य वन कर्मी दौरे पर उपस्थित थे।