7 फरवरी को नीति मलारी राष्ट्रीय राजमार्ग पर ग्लेशियर टूटने के बाद रैणी में बना बीआरओ का लगभग 55 मीटर लंबा पुल बह कर तबाह हो चुका था। बीआरओ ने 24 घंटे दिन रात काम करके रैणी के पास नया वैली ब्रिज बना कर उस पर आवागमन शुरू कर दिया है।
7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने के बाद रेणी के पास भारी तबाही मची थी बीआरओ के पुल टूट चुके थे जिसे बनाने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य आरंभ किया गया पुल के एलाइनमेंट के साथ साथ बेस बनाया गया
।25 फरवरी से वर्ली ब्रिज का कार्य शुरू किया गया 8 दिन में वैली ब्रिज बनकर तैयार हो गया जिसके बाद भारत चीन सीमा को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग पर आवागमन सुचारू हो गया इसके साथ ही 13 गांवों का संपर्क भी अब जिला मुख्यालय से जुड़ गया है
इस पुल को बनाने के लिए जम्मू कश्मीर, पठानकोट, उत्तरकाशी पिथौरागढ़ आदि जगहों से सामान मंगाया गया।
बीआरओ के कमान अधिकारी आशु सिंह राठौड़ ने बताया कि मोटर पुल लगभग 200 फुट का बनाया गया है जिसकी लंबाई लगभग 60 मीटर है इस पुल की क्षमता 3 0 से 40 टन भार उठाने की है उत्तराखंड में यह अभी तक का सबसे लंबा वैली ब्रिज बनाया गया है