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राजस्व विभाग की मिलीभगत और फर्जी दस्तावेजों के सहारे करोड़ों की भूमि कालोनाइजर को बेचने का आरोप

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रूद्रपुर।

शहर के एक व्यवसायी ने अपने भाई पर राजस्व विभाग की मिलीभगत और फर्जी दस्तावेजों के सहारे करोड़ों की भूमि कालोनाइजर को बेचने का आरोप लगाया है। आरोप है कि न्यायालय से स्टे के बावजूद करोड़ों की भूमि को कालोनी काटकर खुर्द बुर्द किया जा रहा है। पत्रकार वार्ता में खुलासा करते हुए गोल मार्केट निवासी सुशील कुमार ने बताया कि लालपुर के पास शिमला पिस्तौर में उसके पिता मोहन लाल के नाम 6 एकड़ भूमि थी। जिसकी वर्तमान में मार्केट वैल्यू करीब 10 करोड़ है। उसके पिता का 10 अप्रैल 2022 को आकस्मिक निधन हो गया था । 11 अप्रैल को उनका अंतिम संस्कार किया गया। पिता की मृत्यु के पश्चात नियमानुसार पिता के नाम दर्ज भूमि तीन पुत्रें को विरासतन मिलनी थी। सुशील अरोरा ने आरोप लगाया कि सबसे छोटे भाई सुरेन्द्र कुमार की नियत उक्त जमीन पर पहले से ही खराब थी, जिसके चलते उन्हें उक्त पिता के नाम की उक्त भूमि को खुर्द बुर्द किये जाने का अंदेशा था। इसी कारण उन्होंने पिता की मृत्यु के तीन दिन बाद ही रजिस्ट्री कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर आशंका व्यक्त की थी कि फर्जी तरीके से पिता के नाम दर्ज भूमि को खुर्द बुर्द किया जा सकता है। जिस पर रजिस्ट्रार कार्यालय ने उन्हें आश्वस्त किया था। पिता की रस्म पगड़ी के दूसरे ही दिन 19 अप्रैल को छोटे भाई सुरेन्द्र कुमार ने मृतक पिता के मुख्त्यारनामे का दुरूपयोग और फर्जीवाड़ा करके पिता के नाम दर्ज जमीन कालोनाइजर जोधा सिंह को बेच दी। सब रजिस्ट्रार कार्यालय में आपत्ति दर्ज होने के बावजूद इस भूमि का बैनामा भी जोधा सिंह के नाम कर दिया गया। सुशील कुमार अरोरा ने बताया कि अगस्त माह में जब इस फर्जीवाड़े का पता उन्हें लगा तो उन्होंने पुलिस से शिकायत की लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। मामले को लेकर 10 अगस्त को सब रजिस्ट्रार से पुनः शिकायत की गयी कि उक्त भूमि को फर्जी तरीके से बैनामा करके बेचा गया है और उस पर कालोनी काटने की तैयारी की जा रही है। लेकिन शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुयी और जोधा सिंह ने उक्त भूमि पर प्लाटिंग शुरू करके प्लाट बेचने शुरू कर दिये। मामले को लेकर तहसीलदार के न्यायालय में भी केस डाला गया लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुयी। मजबूरन 10 अक्टूबर को उन्होंने सीनियर सिविल जज की अदालत में केस दायर किया। पत्रवलियों का अवलोकन करने के बाद माननीय न्यायालय ने पहली ही सुनवाई में अस्थायी निषेधाज्ञा को एक पक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए भूमि के किसी भी प्रकार से विक्रय दान, बंधक और खुर्द बुर्द करने पर रोक लगा दी। मामला अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन स्टे के बावजूद उक्त भूमि पर प्लाट बेचकर रजिस्ट्रयां की जा रही हैं। सुशील कुमार का आरोप है कि तहसील कर्मी भी इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं। सुशील कुमार ने बताया कि मामले की शिकायत वह एडीएम से लेकर डीएम से भी कर चुके हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करा रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकारी खुलेआम भ्रष्ट कार्यशैली को अंजाम देने के साथ साथ न्यायालय के आदेशों की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं। सुशील अरोरा ने कहा कि मामले में प्रशासन ने जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं की तो वह भ्रष्ट अधिकारियों और भू माफिया के खिलाफ न्यायालय में अवमानना का केस दर्ज करेंगे।

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