इस बार त्यौहार पर आप बाजार से रंग-बिरंगी मावा से बनी मिठाई खरीद रहे है तो इस बात का पहले पता कर ले की कही यह मिलावटी व सिंथेटिक मावे से तो नही बनी है। बेहतर होगा कि इस बार त्यौहार पर मावा की मिठाईयां खरीदने से पूर्व उसकी अच्छी तरह से जांच परख कर ली जाए। होली के त्योहार पर मावे की डिमांड बढ़ जाती है, उत्तराखण्ड की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के बरेली, बहेड़ी व बिलासपुर व रामपुर को सिंथेटिक मावे की बड़ी मंडी के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा राजधानी दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के मेरठ के आस-पास के जिलों से भी यहाँ आर्डर पर मावा तैयार कराकर भेजा जाता है। त्यौहार पर मावे की मांग पूरी करने के लिए तैयार होने वाला सिंथेटिक मावा सेहत के लिए काफी घातक होता है।
ट मे जाने के बाद यह पूरे शरीर पर असर करता है। लिवर में इंफेक्शन होने पर पेट दर्द की शिकायत होती है। दस्त लग जाते है, इसके शरीर मे जाने के बाद शरीर सुस्त हो जाता है, शरीर मे खुश्की पैदा कर देता है, बच्चो पर इसका असर सबसे अधिक पड़ता है, उनकी ग्रोथ प्रभावित होती है। बच्चो के हार्मोन्स प्रभावित होते है। गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चे पर भी इसका गम्भीर प्रभाव पड़ता है। इस मावे से तैयार गुजिया व मिठाईयां आदि काफी दिनों तक घर मे रहती है। जिसे बच्चे समय समय पर खाते है। जिसके गंभीर परिणाम सामने आते है।