प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को पंजाब के फिरोजपुर में रैली को संबोधित करने जा रहे थे. जहां अचानक रैली का कार्यक्रम रद्द हो जाने के चलते पीएम का काफिला वापस लौट रहा था. तभी हुसैनीवाला में दूसरी तरफ से प्रदर्शनकारी किसानों के अचानक आ जाने से पीएम का काफिला एक फ्लाई ओवर पर करीब 20 मिनट तक रुका रहा.जिसे पीएम की सुरक्षा में भारी चूक माना जा रहा है. हालांकि पीएम के काफिले को लेकर पहले से रूट और वैकल्पिक मार्ग भी तय रहते हैं. आइए जानते हैं कैसे चलता है पीएम का काफिला और कैसी होती है सुरक्षा व्यवस्था.प्रधानमंत्री की सुरक्षा देश में सबसे ज्यादा कड़ी होती है. जिसका जिम्मा स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) पर होता है. एसपीजी का गठन साल 1988 में हुआ था. एसपीजी 4 भागों में काम करती है. ऑपरेशन्स, ट्रेनिंग, इंटेलिजेंस एंड टूर्स (Intelligence and tours) और एडमिनिस्ट्रेशन.
प्रधानमंत्री बुलेटप्रुफ, रेंज रोवर, मर्सडीज और बीएमडब्ल्यू 760एलआई (BMW 7-Series 760Li) में सफर करते हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री के काफिले में मर्सडीज की लिमोजिन भी शामिल की गई है.Mercedes Maybach S650 Guard भी पीएम मोदी के काफिले का हिस्सा है. ये कार कई सुरक्षा खूबियों से लैस है.अगर पीएम पर गैस से अटैक किया जाता है तो इस कार का कैबिन गैस-सेफ चैंबर में बदल जाता है. बैकअप के तौर पर कार में ऑक्सीजन टैंक मौजूद होता है. इसमें सेल्फ सीलिंग फ्यूल टैंक भी होता है, जिसमें किसी भी हालत में विस्फोट नहीं हो सकता. इसके अलावा सुरंगों और बमों को झेलने के लिए कार में नीचे की तरफ आर्मर प्लेट्स होती हैं. इसके अलावा कार में इमरजेंसी एग्जिट होती है. इसके साथ ही कार के शीशे भी बुलेट प्रूफ होते हैं.साथ चलती हैं दो डमी कार पीएम के काफिले में उनकी विशेष कार के समान ही दो डमी कारें भी चलती हैं. साथ ही जैमर काफिले का अहम हिस्सा होता है. जिसके ऊपर बहुत-से एंटीना लगे रहते हैं. जैमर के एंटीना सड़क के दोनों तरफ 100 मीटर की दूरी पर रखे विस्फोटकों को डिफ्यूज़ करने की क्षमता रखते हैं. काफिले में चल रही सभी गाड़ियों में एनएसजी के निशानेबाज कमांडो तैनात रहते हैं. प्रधानमंत्री के काफिले में उनकी सुरक्षा के लिए करीब 100 लोगों की सिक्यूरिटि टीम चलती है.जब प्रधानमंत्री दिल्ली या अन्य किसी राज्य में कहीं जाते हैं, तो सुरक्षा कारणों से उनका रूट करीब 7 घंटे पहले तय होता है. इसके साथ ही वैकल्पिक मार्ग भी तय रहते हैं. जिन पर पहले से ही रिहर्सल होता है. जिस रास्ते से प्रधानमंत्री को गुजरना होता है, उस रास्ते पर 4 से 5 घंटे पहले ही दोनों तरफ हर 50 से 100 मीटर की दूरी पर पुलिस वाले तैनात किए जाते हैं. पीएम के काफिले के गुजरने से ठीक 10 से 15 मिनट पहले उस रूट पर आम आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है. लोकल पुलिस सड़क के दोनों तरफ मुस्तैद रहती है.काफिले के आगे चलती है संबंधित राज्य की पुलिस
पीएम के काफिले के आगे दिल्ली या संबंधित राज्य की पुलिस की गाड़ियां चलती हैं. जो रूट क्लीयर करती हैं. स्थानीय पुलिस ही एसपीजी को रास्ते पर आगे बढ़ने की सूचना देती है. इसके बाद काफिला आगे चलता है. पीएम के काफिले के लिए हमेशा दो वैकल्पिक मार्ग भी तय रहते हैं. मुख्य मार्ग में कोई तकनीकी या अन्य समस्या होने पर एसपीजी वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल करती है. अगर पीएम वायुयान से यात्रा कर रहे होते हैं. तो मौसम खराब होने पर भी वे वैकल्पिक सड़क मार्ग से ही यात्रा करते हैं, जो पहले से ही तय रहते हैं.
जब प्रधानमंत्री का काफिला दिल्ली के अलावा किसी अन्य राज्य में होते हैं. तो उनके सुरक्षा घेरे में बाहरी घेरे की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की होती है. पीएम के दौरे से ठीक 3-4 दिन पहले एसपीजी पूरे रास्ते का अवलोकन कर रूट तय करती है. साथ ही दो वैकल्पिक रूट भी तय कर लिए जाते हैं और उन दोनों वैकल्पिक रास्तों पर भी मुख्य मार्ग की तरह सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाते हैं. अगर किसी भी स्थिति में पीएम का रूट बदलता है, तो एसपीजी इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस के साथ साझा करती है. अंतिम समय तक ये तय नहीं होता कि पीएम किस रूट से निकलेंगे. ये सब सुरक्षा के लिहाज से किया जाता है.पीएम की यात्रा का सुरक्षा प्रोटोकॉल
आईबी के पूर्व विशेष निदेशक यशोवर्धन आजाद का कहना है कि पीएम की सुरक्षा उच्च स्तर की होती है. एसपीजी के पास क्लोज सिक्यूरिटि की जिम्मेदारी है, लेकिन बाकी सारे सुरक्षा इंतजाम और बाहरी सुरक्षा राज्य का जिम्मा है. बाहरी सुरक्षा की पूर्ण जिम्मेदार राज्य की है. किसी भी हालात में अचानक योजना बदलने या आवश्यकता पड़ने पर राज्य को तैयार रहना चाहिए. पीएम भले ही हवाई मार्ग से जाएं, लेकिन वैकल्पिक-सड़क मार्ग को क्लियर रखने और सड़क पर हमेशा सुरक्षा इंतजाम रखने की ज़रूरत होती है. स्थानीय पुलिस को रोड क्लीयरेंस रखना होता है. पुलिस की रोड क्लीयरेंस पार्टी पुल पर भीड़ आने के लिए जिम्मेदार हैं, इसकी जिम्मेदारी राज्य पर है. पंजाब की घटना पीएम की सुरक्षा में बड़ी चूक है.ब्लू बुक के आधार पर होती है पीएम की यात्रा
किसी भी राज्य में प्रधानमंत्री की यात्रा गृह मंत्रायल की ब्लू बुक के आधार पर होती है. ब्लू बुक में पीएम की यात्रा को लेकर सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देश दिए जाते हैं. गृह मंत्रालय इसे एक बुकलेट के रूप में सभी राज्यों और पुलिस फोर्स को जारी करता है.
केंद्र सरकार के उच्च सुरक्षा अधिकारियों और एसपीजी के पूर्व अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक किसी भी राज्य में पीएम की यात्रा का प्लान सबसे पहले राज्य के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, डीजीपी और मुख्य सचिव को जाता है. इसके बाद एसपीजी का एक अधिकारी एडवांस सिक्योरिटी लाइजन के लिए राज्य में जाता है. इस मीटिंग में लोकल एसपी और डीएम पीएम की यात्रा पूरा प्लान तैयार करते हैं.
उस मीटिंग के नोट पर सभी अधिकारियों के हस्ताक्षर होते हैं. हर जगह पर पीएम को सुरक्षित निकालने के लिए कंटीजेंसी प्लान हमेशा तैयार रखा जाता है. यात्रा में किसी भी चेंज की जानकारी सबसे संबंधित ज़िले के एसएसपी और डीएम को दी जाती है. पीएम के कारकेड में एसएसपी भी शामिल होते हैं. प्री प्लान में वैकल्पिक रूट भी तैयार रखा जाता है.ऐसे बनता है पीएम का कारकेड
प्रधानमंत्री की गाड़ियों का क़ाफ़िला यानी कारकेड कई वाहनों से मिलकर बनता है. जिसमें सबसे आगे एडवांस पायलट वार्निंग, टेक्नीकल कार, वीवीआईपी कार, जैमर वाहन, फिर दो वीवीआईपी कार और एंबुलेंस के अलावा अन्य कार शामिल होती हैं. एसपीजी कारकेड में शामिल कारों की गहनता से जांच करती है.
पीएम के काफिले में कम से कम पांच गाड़ी होती हैं. पहली गाड़ी पायलट गाइड उसके बाद एस्कोर्ट गाड़ी एसपीजी की होती है. उसके बाद पीएम की गाड़ी फिर एस्कोर्ट की दूसरी गाड़ी और साथ में एक स्पेयर गाड़ी चलती है. इन सबके पीछे लोकल एसएसपी, डीएम, एसआईबी और बाक़ी अधिकारियों की गाड़ियां चलती हैं.एसपीजी के पूर्व अधिकारी पीके मिश्रा के मुताबिक पाकिस्तानी सरहद के नज़दीक इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. पीएम मोदी की सुरक्षा में इस बड़ी चूक की पहली ज़िम्मेदारी राज्य के सुरक्षा तंत्र की है. इसमें किसी बड़ी साज़िश से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में सीधी ज़िम्मेदारी राज्य के डीजीपी की है.