देहरादून:
कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत मंत्री के रूप में अपने इस कार्यकाल से संतुष्ट नहीं हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि साढ़े चार साल के कार्यकाल में वह जनता के सबसे कम काम करा पाए। कोविड भी इसका एक कारण रहा। कोटद्वार मेडिकल कालेज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी राह में उसी तरह के रोड़े अटकाए गए, जैसे दून मेडिकल कालेज की राह में अटकाए गए थे। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर निशाना साधा और कहा कि कोटद्वार मेडिकल कालेज के लिए वह जितनी बार त्रिवेंद्र के सामने गिड़गिड़ाए, वैसा शायद ही किसी अन्य मामले में हुआ हो। साथ ही जोड़ा कि अब मेडिकल कालेज के लिए कसरत शुरू हो गई है और जल्द ही यह आकार लेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ चल रही तनातनी के बारे में कैबिनेट मंत्री ने कहा कि वर्ष 2016 के सियासी घटनाक्रम को लेकर हरीश रावत बहुत कुछ बोल चुके हैं। इसलिए यह तय किया है कि अब हरीश रावत कुछ भी बोलें, उसका कोई जवाब नहीं दिया जाएगा। जनता जानती है कि कौन सही है और कौन गलत। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में महत्वाकांक्षा होती है और यदि इससे प्रदेश का फायदा होता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में उन्होंने हरीश रावत से करीब चार घंटे तक बात की कि मंडी से शराब का कार्य हटा दिया जाए, मगर ऐसा नहीं किया गया।
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने उनकी कांग्रेस में वापसी की अटकलों पर भी विराम लगाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वह न तो किसी कांग्रेस नेता से मिले और न किसी से कोई चर्चा हुई तो आखिर ये बात आ कहां से रही है। जब कोई कहीं नहीं जा रहा तो फिर ऐसी चर्चा क्यों। साथ ही 2007 व 2012 के विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि चुनाव के वक्त आना-जाना लगा रहता है, जो कि सामान्य बात है।
उन्होंने कहा कि वह कहीं भी दबाव की कोई राजनीति नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि जो लोग 30-35 साल से भाजपा से जुड़े हैं, उनका पार्टी संबंध इससे भी पुराना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनके व्यक्तिगत संबंध हैं। ऐसे में समझ नहीं आता कि प्रेशर पालिटिक्स की बात कहां से आ रही।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी पुत्रवधू के लिए भी टिकट मांग रहे हैं, इस पर हरक ने कहा कि वह परिवारवाद के पक्षधर नहीं हैं। उन्होंने पार्टी से टिकट की कोई मांग नहीं की है। साथ ही कहा कि कोटद्वार के साथ ही जब भी मौका मिला, लैंसडौन क्षेत्र के लिए कई कार्य कराए। उन्होंने दोहराया कि उनकी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है। ये बात वह पार्टी हाईकमान के समक्ष भी रख चुके हैं। हालांकि, चुनाव लड़ना अथवा न लड़ना परिस्थितियों पर निर्भर करता है।