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विश्व प्रसिद्ध रूपकुंड पर्यटन स्थल को रात्रि विश्राम के लिये खोले जाने को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उप वन संरक्षक को भेजा पत्र

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स्थान / थराली

रिपोर्ट / गिरीश चंदोला

थराली / बीते समय में देश-विदेश के ट्रैकरों की पसंदीदा पर्यटक स्थलों में सुमार रहस्मयी रूपकुंड में एक बार फिर से देशी-विदेशी यात्रियों की चहल-पहल बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय जनता ने इस ट्रैक रूट के मध्य में स्थित पत्थीरीले बुग्याल बगुवांवासा एवं पातरनचौनियां में ट्रैकरों के रात्रि विश्राम की अनुमति देने की वन विभाग से मांग की हैं।

रूपकुंड पर्यटन विकास संघर्ष समिति लोहाजंग के अध्यक्ष इंद्र सिंह राणा ने बद्रीनाथ वन प्रभाग के उप वन संरक्षक गोपेश्वर को भेजे एक पत्र में कहा हैं कि उच्च न्यायालय नैनीताल ने बुग्यालों क्षेत्रों में रात्रि प्रवास पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई हैं।इसी के तहत पिछले दो-तीन सालों से सहासिक यात्राओं में सुमार रूपकुंड की यात्रा पर देशी विदेशी पर्यटकों एवं सहासिक पद् यात्रियों का आवागमन लगभग पूरी तरह से बंद हो गया हैं। बताया है कि रूपकुंड आने-जाने में यात्रियों को कम-से-कम चार से पांच दिन लगते हैं। यात्रा बंद होने के कारण प्रति वर्ष करीब एक करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान हो रहा हैं।पत्र में कहा गया हैं कि रूपकुंड यात्रा ट्रैक पर पातरनचौनियां एवं बगुवावासा दो ऐसे क्षेत्र हैं जोकि बुग्यालों के बीच में तो स्थित हैं। किंतु यें दोनों स्थान मखमली बुग्यालों के बजाय पथरीलें क्षेत्र हैं। यहां पर रात्रि विश्राम की इजाजत दिए जानें से बुग्यालों को किसी भी तरह की क्षति नही पहुंच सकती हैं और हाईकोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना नही होगी।

पत्र के माध्यम से डीएफओ से समिति के अध्यक्ष राणा ने बगुवावासा एवं पातरनचौनियां में रात्रि विश्राम करने की इजाजत दिए जाने एवं रात्रि विश्राम के लिए आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग की हैं।

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