Home उत्तराखण्ड पौराणिक  गरुड़ छाड़ मेला हुआ संपन्न

पौराणिक  गरुड़ छाड़ मेला हुआ संपन्न

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मेले में भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण को छूने से  वाले को होती पुत्ररत्न की प्राप्ति
अब तक भगवान गरुड़ व कृष्ण भगवान छून से हो चुकी  सैकड़ो लोगों को पुत्ररत्न की प्राप्ति
विभिन्न मुखोटा नाचे 18 पत्तर 18 ताल
चोर और पैल पेलवाण ,मवर मवरिण ने किया दर्शकों का खूब मनोरंजन
भगवान नृसिंह के पत्तर ने भी दिखाये रौद्र रूप
जोशीमठ

बड़ागॉव के पंचायत चौक में गरुड़छाड़ मेले का ।सदियों से चले आ रहे इस मेले की खास पहचान यह है कि मेले में जो भी व्यक्ति भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण को पकड़ता और छूता है उसको पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है।यह मेला बड़ागॉव के पंचायत चौक में हर दो साल बाद होता है।यहाँ पर एक साल हस्तोला मेला और एक साल गरुड़छाड़ मेले का आयोजन होता है।गॉव के 500  मीटर ऊपर मथकोट नामक स्थान पर एक बड़ा सुराई का पेड़ है।जहाँ से भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण रस्सी के सहारे आये  ।और पंचायत द्वारा निर्धारित  व्यक्ति ने भगवान  ने  भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण को छूता और पकड़ता है।इसके लिये गॉव द्वारा सुरक्षा की विशेष व्यवस्था थी। भगवान गरुड़ व कृष्ण को निर्धारित व्यक्ति रूपेश चौहान के यहाँ ले जाया गया।माँ दुर्गा और भगवान कृष्ण और गरुड़ के जयकारों के बीच पूरा गॉव ने भजन कीर्तन किया।अब  तीन दिनों तक विशेष पूजा अर्चना ,भजन, कीर्तन और भोज होता है।
जिस भी व्यक्ति का गॉव में पुत्र रत्न नहीं होता है वह गॉव में प्राथर्ना  पत्र देता है।पंच उसका चयन करती है।और वही व्यक्ति भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण को छूता और पकड़ता है।गॉव के हरीश भंडारी ,राकेश सगोई, मनवर राणा, विक्रम सिंह, ब्रिजेश सिंह, कुशल सिंह राणा ,मातबर भंडारी, का कहना है कि हमने भगवान गरुड़ और कृष्ण भगवान को पकड़ा और हमको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है।और सदियों से जिसने भी गरुड़ और कृष्ण भगवान को पकड़ा उसको पुत्र रत्न की प्राप्ति होती आयी है।
गॉव सदियों  से चली आ रही परंपरा के तहत जिसने भी भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण को पकड़ा है उसका हमेशा पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है।अभी तक कभी ऐसा नहीं हुआ की जब किसी ने भगवान गरुड़ व कृष्ण को पकड़ा हो उसका पुत्र हुआ हो गॉव में ऐसे सैकड़ो लोग इसके गवाह है।
वैसाखी के दिन से गॉव में पंचायत चौक में जाख देवता नाचता है।और मुखोटा नृत्य होता है।मेले के दिन राम,लक्ष्मण, सीता ,हनुमान विभिन्न तालों पर नृत्य करते है।इसके अलावा भगवान सूर्य, नारद, शिव, नृसिंह, नंदा, सहित अन्य मुखोटा 18 पत्तर 18 ताल ढोल के विभिन्न तालों पर नाचते है।इसके अलावा मवर मवरिण का नृत्य,
कुरज्वेगी और चोर भी है आकर्षण का केंद्र
एक विशेष प्रकार का जंगली फूल  जो कपड़ो पर चुम्बक की तरह चिपकता है।उस फूल को एक व्यक्ति अपने बहार विशेष आवरण लगाकर लोगो पर मेले के  दौरान लगता है।लोग उस व्यक्ति को देखकर इधर उधर भागते है।और मेले में जुटी भीड़ ख़ूब तीतर बितर होती है।खूब हँसी ठिठोली होती है।चोर थैला भरकर आटा लाता और मेले में जुटी भीड़ पर फेकता है।और लोग इधर उधर भागते नजर आये ।और लोगों ने खूब इसका मजा लिया ।
पैल पैलवाण
ये चार लोग चार दिशाओ से आकार पंचायत चौक में प्राचीन युद्धकला का प्रदर्शन करते है।उसके अलावा भारत तिब्बत व्यापार की झलकियां भी देखने को मिली उन्होंने प्राचीन युद्ध कला का शानदार प्रदर्शन किया।और लोग इस प्राचीन युद्धकला देख अचंभित रह गये।बीच बीच मेंजाख देवता का लाठ नाचता रहता हैै।अंत में माँ दुर्गा अवतारी पुरुष पर अवतार लेकर गॉव को खुशहाली व स्मृद्धि का आशिर्वाद देती है।
इस अवसर पर प्रधान हेमा देवी, हरीश भंडारी, बलवंत भण्डारी,सहित हजारों लोग मौजूद है।

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