बागेश्वर से करीब 65 किमी दूर सनगाड़ गांव (Nauling temple Sangar village) में, श्री 1008 नौलिंग देवता का भव्य एवं आकर्षक मंदिर है। नौलिंग मंदिर, बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र में आता है और आसपास के लोगों के लिए अपार श्रद्धा का केंद्र है।
नवरात्र पर इस मंदिर में जोरदार मेला लगता है। इसे “नवमी मेला” कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि नौलिंग देव के डंगरिए अवतरित होकर भक्तों को अपने पास बुलाते हैं और उनके कष्टों को दूर करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, सदियों पूर्व शिखर-निवासी मूलनारायण भगवान की पत्नी माणावती से बंजैण देवता का जन्म हुआ। एक दिन बंजैण की माता स्नान के लिए पचार गांव स्थित नौले में गई। स्नान के बाद उन्हें नौले के पास एक सुंदर हंसता खेलता नन्हा बालक दिखा। माणावती ने सोचा वह बगैर बंजैण के यहां आई थी, लेकिन वह यहां कैसे पहुंच गया। इसके बाद माणावती उस बालक को गोद में रखकर शिखर पर्वत चली गई। मूलनारायण एवं माणावती ने दोनों बालकों को अपनाकर उनका लालन-पालन किया। नौले से जन्म लेने से उस बालक का नाम “नौलिंग” रखा गया। उस समय सनगाड़ गांव में सनगड़िया नामक राक्षस का आतंक था। वह नरबलि लेता था। नौलिंग देवता ने गाँव को उस राक्षस के आतंक से बचाने के लिए उससे लड़ाई लड़ी जिसमें वह राक्षस मारा गया।
कहा जाता हैः भगवान् नौलिंग देवता और इस मसाण के बीच में लगभग सात दिन और रात युद्ध हुआ था और अंत में मसाण को हार का मुह देखना पड़ा।
सनगाड़ में भगवान् नौलिंग ी का भव्य मंदिर है जिसे एक संत बद्री नारायण जी ने कई गाववासियों के सहयोग से बनाया है। दूर दूर से लोग यहाँ पर अपनी मन्नते लेकर आते है और भगवान् सबकी मनो कमानापूर्ण करते है। सनगाड़ मंदिर में पहुचने के लिए जिला मुख्यालय बागेश्वर से दो प्रमुख रास्ते है। भगवान् नौलिंग देवता के मंदिर में मंगसिर (अक्तूबर के नवरात्रियो में) यहाँ नवमी भव्य मेल लगता है और दूर दूर से श्रद्धालु मंदिर में आते है। पहले यहाँ बलि प्रथा का प्रचलन था अब वह बंद हो चुका है।