ऋषिकेश। बड़ी लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा चीला पॉवर हाउस, टरबाइन का वाल फटने पर टरबाइन चैम्बर में पानी भरने से लम्बे समय तक विद्युत उत्पादन हो सकता है प्रभावित।
चीला जल विद्युत निगम की भारी लापरवाही के चलते 144 मेगावाट विद्युत का उत्पादन ठप्प हो गया है, दूसरे दिन भी विद्युत टरबाइनो में भरा पानी निकाला नही जा सका है, विद्युत उत्पादन ठप्प होने से प्रति दिन सरकार को लाखों रुपए के सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है, वही विद्युत उत्पादन सुचारू होने में अभी एक सप्ताह से अधिक समय लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है, फिलहाल जल विद्युत निगम का प्रबंधन वर्ग मीडिया से दूरी बनाते हुए अपनी जवाबदेही से बचते नजर आ रहे है।
144 मेगावाट की चीला जल विद्युत परियोजना के विद्युत गृह में विगत रोज एक टरबाइन का वॉल फटने से भारी मात्रा में पानी विद्युत उत्पादन करने वाली टरबाइनो के चैम्बर में भर गया था जिसके बाद विभागीय अधिकारियों ने आनन-फानन में पशुलोक स्थित बैराज के सभी गेटों को गंगा में खोल कर विद्युत उत्पादन हेतु पॉवर हाऊस की ओर जाने वाली चीला शक्ति नहर के पानी को पूर्ण रूप से बंद करवा दिया गया था और हरिद्वार स्थित भीमगोडा बैराज के जल विद्युत निगम के अधिकारियों को इसकी सूचना दे दी गयी।
जल विद्युत निगम सूत्रों के अनुसार टरबाइन एरिया में अभी भी लगभग 15 से 20 फुट पानी भरा हुआ है, जिसे बड़े-बड़े पाइपों में मोटरें लगाकर टर्बाइन एरिये से बाहर निकालने का कार्य जोरो पर है, वही विकासनगर व हरिद्वार सहित विभिन्न पॉवर हाउस से टेक्निकल टीम को बुलाया गया है जो टरबाइन गृह से जल्द से जल्द पानी निकालने का प्रयास कर रहे है, लेकिन उनका मानना है कि तकनीकी खराबी का पता लगाने सहित पानी निकाल कर टरबाइन शुरू करने में अभी कम से कम एक हफ्ते से ज्यादा का समय लग सकता है, जिससे विद्युत निगम व सरकार को प्रति दिन लाखो रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
गौरतलब है कि चीला पॉवर हाउस 1980 में बनकर तैयार हुआ था जो उत्तर प्रदेश के समय से विद्युत उत्पादन करता आ रहा है इस तरह का बड़ा फाल्ट चीला पावर हाउस में पहली बार होने के पीछे विभागीय लापरवाही मानी जा रही है जिसके पीछे सम्भवतः मेंटिनेंस की अनदेखी रही होगी। टरबाइन का वाल फटने से जहां विद्युत गृह की चारो टरबाइन पानी में पूरी तरह डूब चुकी है वही गनीमत रही कि तकनीकी खराबी दिन के समय हुई अन्यथा विद्युत गृह में पानी भरने के अलावा मानवीय क्षति भी हो सकती थी, फिलहाल चीला जल विद्युत ग्रह के महाप्रबंधक पंकज कुलश्रेष्ठ व अधीनस्थ अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं, जबकि अभी तक जल विद्युत गृह के अधिकारियों व कर्मचारियों को पता ही नहीं चल सका कि किस प्रकार की तकनीकी खराबी के कारण वाल फटा ओर चारों टरबाइन के डूब जाने के कारण विद्युत उत्पादन ठप्प हो गया।